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सूखा प्रभावित महाराष्ट्र में 10 दिन देर से पहुंचा मानसून, राज्य के 90% इलाकों में बारिश

मुंबई.सूखे से परेशान महाराष्ट्र में 10 दिन की देरी के बमानसून पहुंच गया है। रविवार को सबसे ज्यादा सूखा प्रभावित इलाके मराठवाड़ा में भी बारिश हुई। वेदर डिपार्टमेंट के मुताबिक राज्य के 90 फीसदी इलाकों में मानसून एक्टिव हो गया है। अगले 48 घंटों के दौरान मानसून के गोवा, दक्षिण कोंकण, मध्य महाराष्ट्र ,मराठवाड़ा, मध्य प्रदेश, साउथ- ईस्ट उत्तर प्रदेश ,बिहार के अलावा कर्नाटक, तेलंगाना, छत्तीसगढ़ और झारखंड में पहुंच...

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कॉल ड्रॉप का गोरखधंधा-- रघु ठाकुर

इस समय देश में मोबाइल फोन के उपभोक्ताओं की संख्या अस्सी-नब्बे करोड़ के बीच पहुंच गई है और कुछ लाचारी तथा कुछ जरूरतों के आधार पर एक-एक व्यक्ति दो-तीन मोबाइल फोन रखने को बाध्य हो रहा है। जमीनी फोन की संख्या घटी है और उसके पीछे भी महत्त्वपूर्ण कारण नब्बे के दशक से एक तरफ देश में मोबाइल फोन के प्रति लोगों का आकर्षण बढ़ना और दूसरी तरफ जमीनी फोन...

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बुंदेलखंड: न चारा, न पानी, जानवर बेच रहे हैं किसान

सूखे से झुलस रहे बुंदेलखंड में स्थितियां और भयावह हो चली हैं। हालात का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि दो वक्त की रोटी के लिए ग्रामीण अपने पशु बेच रहे हैं। पशुओं के खरीदार नहीं मिल रहे हैं, चारे पानी का जबरदस्त संकट है लिहाजा पशुपालक भारी मन से औने-पौने दामों में इनसे पीछा छुड़ा रहे हैं। कई गांव ऐसे भी हैं जहां के लोगों ने अपने...

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सुलगता सवाल : क्या मॉनसून की बारिश सूखे की भरपायी कर पायेगी ? सूखते जलागार, घटता जलस्तर, पेयजल और सिंचाई के संकट पर क्या कहते हैं विशेषज्ञ, नये शोध और आधिकारिक दस्तावेज...जानने के लिए यहां क्लिक करें.

लगातार दो सालों (2014-15 और 2015-16) में सामान्य से क्रमशः 12 और 14 फीसदी कम बारिश के कारण सूखे की मार झेल चुका देश इस साल मानसून से पहले भयावह गर्मी की चपेट में है. चैत के दिन जेठ के दुपहरिया की तरह तपे और देश के कई इलाकों में अप्रैल महीने में तापमान 40 डिग्री सेल्सियस से लेकर 46 डिग्री सेल्सियस तक जा पहुंचा जो कि सामान्य से...

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मोदी सरकार के 2 साल: मुद्रास्फीति पर अंकुश के बावजूद दालों व चीनी के दामों में उछाल

मोदी सरकार के पिछले दो साल के कार्यकाल के दौरान थोक व खुदरा मुद्रास्फीति में गिरावट के बावजूद खाद्य पदार्थों खासकर दाल और चीनी जैसे कई जिंसों के भावों में उछाल आया है। अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल और अन्य जिंसों के दामों में गिरावट के साथ-साथ सरकार के राजकोषीय अनुशासन और रिजर्व बैंक की कठोर नीति के कारण मुद्रास्फीति काबू में है। लेकिन दो साल से कम बारिश के...

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