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सोशल मीडिया की ताकत-- आकार पटेल

हमारे पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह की तरह अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति बराक ओबामा भी एक बौद्धिक व्यक्ति हैं और दुनियाभर में उनका सम्मान है. इस बात से कोई फर्क नहीं पड़ता है कि कुछ लोग दोनों को असफल नेता मानते हैं, या तो इस कारण कि मनमोहन सिंह के पास करिश्मा व व्यक्तिगत शक्ति नहीं है, या फिर इस वजह से कि ओबामा नस्लीय तौर पर एक अल्पसंख्यक समुदाय से...

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दलित दर्द की खतरनाक अनदेखी-- तरुण विजय

किसी भी समाज का सबसे बड़ा अपमान उसके दर्द, उसके इतिहास और उसके संघर्ष को नकारना होता है. कश्मीरी हिंदुओं के साथ यही हुआ. तमाम सेकुलर-जेहादियों ने पुस्तकें लिख डालीं कि कश्मीर घाटी से हिंदू अपने सदियों पुराने घर-बागीचे अपनी मर्जी से छोड़ आये, ताकि मुसलमान बदनाम किये जा सकें. आज महाराष्ट्र में दलितों के असंतोष को न तो हल्के ढंग से लेना चाहिए, न ही इसका सारा श्रेय...

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नेट निरपेक्षता और साइबर अपराध-- अरविंद कुमार सिंह

हाल में भारतीय दूरसंचार नियामक प्राधिकरण (ट्राइ) द्वारा अपने अनुशंसा-पत्र में यह सुनिश्चित किया जाना कि इंटरनेट सेवा प्रदाताओं (आइएसपी) को अपने मुनाफे के लिए अथवा किसी खास वेब ट्रैफिक को रोकने, धीमा करने या उसकी गुणवत्ता को प्रभावित करने का हक नहीं है, एक तरह से इंटरनेट सेवा प्रदाताओं की मनमानी पर अंकुश लगाने वाला कदम है। ट्राइ ने इंटरनेट सेवा प्रदाताओं की मनमानी व चालबाजी को छल मानते...

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हितकारी नहीं संरक्षणवादी नीति-- आशुतोष त्रिपाठी

साल के पहले दिन अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के एक ट्वीट ने हमारे पड़ोसी मुल्क पाकिस्तान के लिए मुश्किलें खड़ी कर दीं. इस ट्वीट को भारत-अमेरिका संबंधों की मजबूती की बानगी भी माना गया. लेकिन, बीते कुछ दिनों से वाशिंगटन से कुछ ऐसी खबरें आ रही हैं, जो भारत के लिए भी परेशानी का सबब बन सकती हैं. ये खबरें अमेरिकी आंतरिक सुरक्षा विभाग के एच1-बी वीजा से जुड़े...

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बीमार स्वास्थ्य तंत्र का निदान-- राजू पांडेय

विश्व स्वास्थ्य सूचकांक में भारत का स्थान 188 देशों में 143वां है। भारत स्वास्थ्य पर अपने जीडीपी का सिर्फ 1.4 प्रतिशत व्यय करता है। जबकि अमेरिका जीडीपी का 8.3 प्रतिशत, चीन 3.1 प्रतिशत और दक्षिण अफ्रीका 4.2 प्रतिशत व्यय करता है। स्वास्थ्यमंत्री फरवरी 2015 में राज्यसभा में यह स्वीकारकर चुके हैं कि देश में चौबीस लाख नर्सों और चौदह लाख डॉक्टरों की कमी है। हम प्रतिवर्ष केवल साढ़े पांच हजार...

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