विश्व की आधी जनसंख्या यानी करीब पांच अरब लोग 2050 तक निकट दृष्टि दोष से पीड़ित होंगे और अगर वर्तमान रुझान बने रहे तो इनमें से बीस फीसदी को अंधेपन का जोखिम रहेगा। यह दावा ब्रिएन होल्डेन विजन इंस्टीट्यूट, यूनिवर्सिटी ऑफ न्यू साउथ वेल्स ऑस्ट्रेलिया और सिंगापुर आई रिसर्च इंस्टीट्यूट के शोधकर्ताओं ने किया है। इन शोधकर्ताओं में भारतीय मूल के वैज्ञानिक भी शामिल हैं। शोधकर्ताओं के अनुसार, निकट दृष्टि दोष...
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जलवायु परिवर्तन से बड़े होने लगे हैं दिन
टोरंटो। रात के मुकाबले दिन की लंबाई धीरे-धीरे बढ़ने लगी है। वैज्ञानिकों ने एक हालिया अध्ययन में यह निष्कर्ष निकाला है। उनका मानना है कि जलवायु परिवर्तन के दुष्प्रभावों के चलते ही दिन बड़े होने लगे हैं। शोधकर्ताओं का दावा है कि वैश्विक तापमान में बढ़ोतरी के चलते ध्रुवों के निकट ग्लेशियरों के पिघलने का सिलसिला लगातार जारी है। इससे समुद्र तल में वृद्धि हो रही है। उनका कहना है कि...
More »ग्लोबल वार्मिंग से बदल सकता है धरती का आकार
टोरंटो। जलवायु परिवर्तन के प्रभाव को लेकर चौंकाने वाली बात सामने आई है। एक अध्ययन में कहा गया है कि जलवायु परिवर्तन सिर्फ समुद्री तापमान वृद्धि और मौसम की अनियमितता ही नहीं बल्कि धरती के आकार में बदलाव का भी कारण बन सकता है। पांच वर्षों के अध्ययन के दौरान अनुसंधानकर्ताओं ने पेटागोनिया और अंटार्कटिक प्रायद्वीप के ग्लेशियरों की तुलना की। अध्ययन में पाया गया कि अंटार्कटिक की तुलना में अपेक्षाकृत...
More »भारत: 88 प्रतिशत समुदाय मांसाहारी तो भी मांसाहार में नेपाल से भी पीछे
धार्मिक भावनाओं को ठेस ना पहुंचाने के तर्क से कुछ राज्यों में मांसाहार पर कुछ विशेष दिनों में पाबंदी लगाये जाने की खबरों के बीच दो तथ्य गौरतलब हैं.(देखें लिंक) एक, भारत में कुल 4635 समुदाय हैं और इनमें 88 प्रतिशत समुदाय मांसाहारी हैं. और दो, देश के ज्यादातर लोगों के मांसाहारी होने के बावजूद भारत में प्रति व्यक्ति मांस का उपभोग हिन्दू-बहुल नेपाल की तुलना में लगभग दोगुना और वैश्विक...
More »100 से 200 साल में डूब जायेंगे कोलकाता और मुंबई-- मिथिलेश झा
महाप्रलय के बारे में अब तक लोगों ने किताबों और कहानियों में पढ़ा और सुना है. लेकिन, अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा और जर्मनी के पोस्टडैम इंस्टीट्यूट फॉर क्लाइमेट इंपैक्ट रिसर्च के वैज्ञानिकों ने जो शोध पेश किया है, वह एक बार फिर महाप्रलय के आने की आशंका जाहिर कर रहे हैं. इसकी वजह प्राकृतिक नहीं, मानवजनित है. जी हां, हमने खुद उन परिस्थितियों का निर्माण किया है, जिससे हमारी...
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