यूपीए के एक दशक के दागदार शासन के बाद हमने शुरुआत की थी, तब से लेकर आज दुनिया की सबसे तेजी से विकास कर रही अर्थव्यवस्थाओं में एक गिने जाने तक, यानी एनडीए-दो के ढाई साल के शासनकाल में भारत की तरक्की की कहानी कई परिवर्तनकारी कदमों के सहारे आगे बढ़ी है। इन कदमों ने न सिर्फ देश की छवि दुनिया भर में निखारी, बल्कि देश के नागरिकों के जीवन-स्तर...
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विरोध में बार-बार बचकाने तर्क - एनके सिंह
डिजिटल भुगतान पर सरकार के जोर देने के खिलाफ कांग्रेस नेता व पूर्व वित्त मंत्री पी. चिदंबरम का कहना है कि सरकार का यह जानना कि कोई युवती कौन-सा अधोवस्त्र (अमेरिका व यूरोप और भारत के अभिजात्य वर्ग में इसे 'लॉन्जरी कहते हैं) खरीदती है, या कोई पुरुष कौन-सी दारू पीता है, उनके मौलिक अधिकारों का हनन है। बोफोर्स घोटाले के दौरान विश्वनाथ प्रताप सिंह ने वाराणसी की एक जनसभा...
More »न बीतनेवाला दिसंबर-- सुजाता
दिसंबर बीतते हुए पिछले कई वर्षों का लेखा-जोखा आप से आप करने लगता है. ब्रेक्जिट, अमेरिकी राष्ट्रपति का चुनाव, सीरिया का गृहयुद्ध, नोटबंदी, राष्ट्रगान, राष्ट्रभक्ति, इन सबका हिसाब लगाने के बाद भी एक दिसंबर बचा रहता है, जो कई वर्षों से नहीं बीता. न वह नया होता है न पुराना. वह बस टंग गया है दीवार पर. उसकी तारीखें बदलती हैं, लेकिन उसकी तासीर नहीं बदलती. यह हमेशा उतना ठंडा...
More »स्थानीयता है कुंजी-- नीलम गुप्ता
जलवायु परिवर्तन, भूख, कुपोषण, बढ़ती गरीबी, घटते संसाधन, ये सभी ऐसी समस्याएं हैं जिनसे आज सारी दुनिया जूझ रही है। अरबों रुपए इन समस्याओं के हल के लिए अंतराष्ट्रीय सम्मेलनों पर खर्च किए जा चुके हैं। आगे भी किए जाएंगे। पर हल तब भी शायद ही निकले। तो क्या किया जाए? गांधी-विचारों में रची-बसी, स्वाश्रयी महिला सेवा संघ (सेवा), अमदाबाद की संस्थापक और गुजरात विद्यापीठ की चांसलर इला भट्ट के...
More »तब कैसे याद किए गए थे अंबेडकर- रामचंद्र गुहा
चौदह अक्तूबर, 2016 को भीम राव अंबेडकर के बौद्ध धर्म अपनाने की 60वीं सालगिरह थी। मगर यह मौका राजनीतिक वर्ग के संज्ञान से अछूता रहा, खासकर नरेंद्र मोदी और अमित शाह की नजरों से, जो मौजूदा दौर में देश के दो सबसे ताकतवर व्यक्ति हैं और जिन्होंने हाल के महीनों में अंबेडकर की बढ़-चढ़़कर तारीफें की हैं। जहां तक मुझे दिखा, न तो सोनिया या राहुल गांधी ने, न किसी...
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