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परमार्थ में पूंजी- सुभाष गताडे

जनसत्ता 5 नवंबर, 2012:खबर है कि सरकार संसद के शीतकालीन सत्र में भारतीय कंपनी अधिनियम में संशोधन का विधेयक पेश करेगी। कहा जा रहा है कि कॉरपोरेट क्षेत्र की सामाजिक जिम्मेदारी को प्रस्तुत अधिनियम में शामिल करने को लेकर लंबे समय से चल रही चर्चाओं, बहस-मुबाहिसे की परिणति संशोधित अधिनियम की धारा-135 में दिखाई देगी। यह प्रस्तावित किया जा रहा है कि हर वह कंपनी, जिसकी खालिस कीमत पांच सौ करोड़...

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भट्रटा पारसौल के किसानों पर दर्ज मुकदमे वापस

लखनऊ (एजेंसी) उत्तर प्रदेश सरकार ने अपने वादे पर अमल करते हुए पिछले साल मई में गौतमबुद्धनगर के भट्रटा तथा परसौल गांव में जमीन अधिग्रहण के विरोध में पुलिस के साथ हुए संघर्ष के मामले में आरोपित किसानों पर दर्ज मुकदमें वापस ले लिए हैं। आधिकारिक सूत्रों के मुताबिक मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने कहा कि निर्दोष किसानों के विरुद्व दर्ज मुकदमों को जनहित एवं न्यायहित में वापस ले लिया गया है।...

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‘सरकार के पास सिर्फ 6 महीने का वक्त है'

केंद्र के साथ समझौते के बाद पैदल दिल्ली कूच करने वाले 40 हजार भूमिहीन और आदिवासी सत्याग्रही वापस लौट चुके हैं. इस अभियान के नेता पीवी राजगोपाल राहुल कोटियाल को बता रहे हैं कि सरकार वादों से मुकरी तो फिर आंदोलन होगा 2007 में भी सरकार आपसे वादा करके मुकर चुकी है. ऐसे में आप इस समझौते पर कितना विश्वास करते हैं? 2007 की पदयात्रा के बाद प्रधानमंत्री की अध्यक्षता में एक आयोग...

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रेवाड़ी रैली: चौटाला ने खेला किसान और महिला कार्ड

रेवाड़ी। इनेलो प्रमुख व पूर्व मुख्यमंत्री ओमप्रकाश चौटाला ने कहा है कि आगामी विधानसभा चुनाव में उनकी पार्टी 33 प्रतिशत महिलाओं को टिकट देगी। साथ ही अधिग्रहण में ली जमीन किसानों को वापस की जाएगी। यहां के हुडा मैदान में पूर्व उपप्रधानमंत्री चौधरी देवीलाल की 99वीं जयंती पर चौटाला ने कहा कि आज हालात इतने बेकाबू हो चुके हैं कि कांग्रेस सरकार श्मशान घाट पर भी टैक्स लगा दे तो कोई हैरानी की...

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समानता के पहरुए- अरुण माहेश्वरी

जनसत्ता 2 नवंबर, 2012: नवउदारवाद के लगभग चौथाई सदी के अनुभवों के बाद मुख्यधारा के राजनीतिक अर्थशास्त्र को बुद्ध के अभिनिष्क्रमण के ठीक पहले ‘दुख है’ के अभिज्ञान की तरह अब यह पता चला है कि दुनिया में ‘गैर-बराबरी है’, और इससे निपटे बिना मुक्ति, यानी आर्थिक-संकटों की लहरों में डूबने से बचने का रास्ता नहीं है। ‘द इकोनॉमिस्ट’ पत्रिका के ताजा अंक (13-19 अक्तूबर) में विश्व अर्थव्यवस्था के बारे में उन्नीस...

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