लातूर (महाराष्ट्र)। महाराष्ट्र के लातूर जिले में अपने पिता को कर्ज से बचाने के लिए एक युवती ने कुएं में कूद कर जान दे दी। युवती के पिता उनकी शादी का खर्च वहन नहीं कर सकते थे। युवती ने शुक्रवार को आत्महत्या की। इस आशय की जानकारी शनिवार को अधिकारियों ने दी। यह घटना संयोग से उसी दिन हुई है जिस दिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने लातूर की ही एक 20...
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किसान मदद के मोहताज क्यों हैं -- रमेश कुमार दुबे
तमिलनाडु के कावेरी बेसिन के सूखा-पीड़ित किसान पिछले तीन हफ्तों से इंसानी खोपड़ियों के साथ दिल्ली में प्रदर्शन कर रहे हैं ताकि दिल्ली के हुक्मरानों को अपनी आवाज सुना सकें। इनका दावा है कि ये खोपड़ियां उन किसानों की हैं जिन्होंने कर्ज के दुश्चक्र में फंस कर आत्महत्या कर ली या भूख ने जिनकी जान ले ली। एक नई प्रवृत्ति यह है कि यहां के लोग आत्महत्या करने वाले किसानों...
More »फिजूलखर्ची से ध्वस्त होती अर्थव्यवस्था-- एस. श्रीनिवासन
मध्य वर्ग अपने राज्य के बजट को आमतौर पर नजरंदाज करता है। उसके लिए यह एक सालाना कवायद है, जो उसके रोजमर्रा के जीवन से बहुत ज्यादा वास्ता नहीं रखती। राजनीतिक टिप्पणीकार और मीडिया भी इसे लेकर एक तरह से उदासीन रहते हैं। मगर राज्य के बजट महत्वपूर्ण हैं, क्योंकि ये बताते हैं कि सियासी दलों ने चुनाव के दरम्यान जो वादा किया था, उसे वे पूरा कर रहे हैं...
More »बच्चों को भूखा देख तड़प उठा पिता, आग लगाकर दे दी जान
जबलपुर। ग्वारीघाट की अवधपुरी कालोनी में रहने वाले 40 वर्षीय महेश तिवारी ने सोमवार की सुबह 10 बजे आग लगाकर आत्महत्या कर ली। कर्ज से परेशान महेश के तीन मासूम बच्चे रविवार की शाम से भूखे थे। बच्चों को भूखा देखकर महेश तड़प उठा और उसने मौत का रास्ता चुन लिया। महेश चार महीने पहले तक अपने घर से ही रेडीमेड कपड़ों का व्यवसाय करता था। लेकिन नोटबंदी के बाद धंधा...
More »कलिखो के सुसाइड नोट का बम-- योगेन्द्र यादव
दिल्ली में सत्ता के गलियारों में खुसर-फुसर चल रही है. एक विधवा साठ पेज का बम लेकर घूम रही है. धुआं निकल रहा है. न कोई अपनी आंख हटा पा रहा है. न ही कोई छूने की हिम्मत कर रहा है. हर कोई सोच रहा है कि बम फटेगा तो किसका नंबर आयेगा. ईटानगर हो या दिल्ली, सरकार हो या न्यायपालिका, किसी से भी अरुणाचल प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री...
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