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कैसे करें सूखे का सामना-- बाबा मायाराम

पिछले साल किसान सूखे की मार झेल चुके हैं। इस साल फिर सूखा पड़ गया। जबकि कुछ वर्षों से किसान निरंतर संकट में हैं। उनकी हालत पहले से ही खराब है। इस वर्ष सूखे ने उन्हें गहरे संकट में डाल दिया है। भारतीय मौसम विभाग की भविष्यवाणी सही निकली है। खुद कृषि मंत्रालय ने स्वीकार कर लिया है कि सामान्य से पंद्रह-सोलह फीसद कम बारिश हुई। इससे खरीफ की फसल...

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विवादों की नींव पर नई राजधानी- एस श्रीनिवासन

आंध्र प्रदेश की नई राजधानी की नींव रखने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 22 अक्तूबर को अमरावती पहुंच रहे हैं। अमरावती गुंटूर जिले में कृष्णा नदी के किनारे बसा गांव है। आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री चंद्रबाबू नायडू का सपना है कि वह इसे 21वीं सदी के सिंगापुर के रूप में राजधानी के तौर पर गढ़ें, जो इस इलाके के विकास और तरक्की को रफ्तार देने में हैदराबाद व बेंगलुरू जैसे...

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गांधी जयंती पर योगेंद्र यादव के नेतृत्व में आयोजित होगी संवेदना यात्रा

गाँधी जयंती 2 अक्टूबर से कर्नाटक के यादगीर से योगेन्द्र यादव के नेतृत्त्व में जय किसान आन्दोलन की संवेदना यात्रा प्रारंभ हो रही है। यह यात्रा इस समय देश में पड़ रहे भीषण सूखे की तरफ देश का ध्यान आकृष्ट करने के लिए किया जा रहा है। आधिकारिक आंकड़ों के मुताबिक़ अब तक पुरे देश में सामान्य से चौदह फीसद कम बारिश हुई है। देश के 295 जिलों में बारिश...

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सूखे से निपटने के लिए राज्‍य सरकार की अब तक प्लानिंग नहीं

भोलाराम सिन्हा, रायपुर। छत्तीसगढ़ में अल्पवर्षा व अवर्षा के कारण सूखे की स्थिति निर्मित हो रही है। राज्य सरकार ने प्रदेश की 150 में से 93 तहसीलों को सूखाग्रस्त घोषित करने का भी निर्णय ले लिया है। अब इन सूखाग्रस्त इलाकों में पेयजल, रोजगार, जीवनरक्षक दवाइयां, पशुचारा, पशु टीकाकरण, पोषण आहार, खाद्य सुरक्षा, कृषि अनुदान, खरीफ व रबी फसलों को बचाने की चुनौती है। सूखे की स्थिति से निपटने के...

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किसान आत्महत्या का अधूरा सच- देविन्दर शर्मा

गुलाबी तस्वीर पेश करने की तमाम कोशिशों के बावजूद राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड्स ब्यूरो (एनसीआरबी) के किसान आत्महत्या संबंधी 2014 के आंकड़े कृषि के स्याह पक्ष को ही सामने लाते हैं। वर्ष 2014 में 12,360 किसानों की आत्महत्या का सीधा अर्थ है कि हर 42 मिनट में देश में एक किसान ने आत्महत्या की। हालांकि एनसीआरबी ने किसानों की आत्महत्या के आंकड़े को दो श्रेणियों-किसानों एवं कृषि मजदूरों, में बांटने का साहसिक...

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