SEARCH RESULT

Total Matching Records found : 233

थोड़ी खुशी ज्यादा गम- ।।प्रभात पटनायक।।

भूमि अधिग्रहण और विकास के शोर में हमारी जर्जर कृषि अर्थव्यवस्था भयानक संकट का सामना कर रही है, मगर वित्तमंत्री बजट में खेती-बाड़ी पर शोध के लिए 200 करोड़ की मामूली रकम का इंतजाम करके दूसरी हरित क्रांति का सपना देख रहे हैं. वित्त वर्ष 2012-13 का बजट कई वजहों से अहम माना जा रहा है. एक तरफ़ यूपीए सरकार चुनावी हार का सामना करने के बाद सियासी मोर्चे पर घिरी हुई...

More »

बीज में छिपी है खाद्य संप्रभुता- वंदना शिवा

यदि किसानों के पास अपना बीज न हो या मुक्त परागण किस्मों तक उनकी पहुंच न हों, जिसे वे सुरक्षित रख सकें या जिसका वे विनिमय कर सकें, तो उनके पास बीज संप्रभुता नहीं होगी। नतीजतन उनके पास खाद्य संप्रभुता भी नहीं होगी। गहराते कृषि एवं खाद्य संकट की जड़ें बीज आपूर्ति प्रणाली में हो रहे बदलाव और बीज विविधता व बीज संप्रभुता के क्षरण में निहित है। क्योंकि खाद्य...

More »

विवाद के बीज, बरबादी की फसल- सुमन सहाय

हम जीएम तकनीक को जोरशोर से अपनाने की पहल कर रहे हैं और सरकार भी उस पर अमादा है। मगर हमारा पूरा तंत्र जिस तरह का है, उसमें क्या इस संवेदनशील काम को सार्वजनिक क्षेत्र के वैज्ञानिकों के भरोसे छोड़ा जा सकता है? जीएम तकनीक भी आणविक ऊर्जा की तरह है, इसलिए इस सवाल पर सावधानी से विचार करने की जरूरत है। हाल ही में बीकानेरी नरमा या बीटी कपास से संबंधित...

More »

ग्रामीणों की आर्थिकी का जरिया बन सकता है चुलू

चम्बा, जागरण कार्यालय: पहाड़ का कुदरती रूप से उगने वाला फल चुलू ग्रामीणों की आर्थिकी का जरिया बन सकता है। इसकी बहुउपयोगिता को देखते हुए गोविन्द बल्लभ पंत कृषि विश्वविद्यालय रानीचौरी के वैज्ञानिक इसके व्यावसायिक उपयोग पर जोर दे रहे है। इसके तहत ग्रामीणों को प्रशिक्षण दिया जा रहा है। चुलू अर्थात जंगली खुमानी जिसके पेड़ गांवों में कुदरती रूप से उगते आए हैं। गोविंद बल्लभ पंत कृषि एंव प्रौद्योगिकी...

More »

खुदरा खैर करे- सुधीरेंद्र शर्मा(तहलका,हिन्दी)

  रिटेल क्षेत्र में एफडीआई के फैसले को सरकार ने ठंडे बस्ते में डाल दिया है. मगर क्या यह हमारे हर मर्ज की दवा है जैसा कि सरकार हमें समझाती रही है? सुधीरेंद्र शर्मा का आकलन  जाकी रही भावना जैसी एफडीआई देखी तिन तैसी खुदरा कारोबार में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) पर छिड़ी राजनीतिक रस्साकशी ने तुलसीदास की इन पंक्तियों को पुनः सार्थक किया है. एकल ब्रांड कारोबार में 51 और मल्टी-ब्रांड कारोबार में 100...

More »

Video Archives

Archives

share on Facebook
Twitter
RSS
Feedback
Read Later

Contact Form

Please enter security code
      Close