पारंपरिक तरीके से की जानेवाली खेती से ग्रीनहाउस गैसों के उत्सजर्न का समाधान हो सकता है. खेती के इस्तेमाल में लायी जानेवाली मिट्टी में काफी तादाद में बायोचर और उसका मिश्रण बनाया जा सकता है. इसमें पाये जानेवाले सूक्ष्मजीवियों की गतिविधियों से नाइट्रस ऑक्साइड के उत्सजर्न को कम किया जा सकता है. ‘साइंस डेली’ की एक खबर में बताया गया है कि नाइट्रोजन खादों के प्रभावी इस्तेमाल के लिए भी यह...
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आज के संदर्भ में ग्राम-स्वराज- भारत डोगरा
जनसत्ता 2 अक्तूबर, 2013 : गांधीजी ने ग्राम स्वराज्य का सपना देखा था। लेकिन आजादी मिलने के बाद जो विकास नीति अपनाई गई, उसमें इस सपने के लिए कोई जगह नहीं थी। इसीलिए ग्रामीण इलाकों से शहरों की तरफ पलायन हमारे नीति नियंताओं को कभी चुभा नहीं। सकल राष्ट्रीय आय में कृषि क्षेत्र की घटती हिस्सेदारी भी उन्हें चिंतित नहीं करती। भारत के गांवों में आजादी के बाद कैसा बदलाव हुआ? इतने...
More »खनन से किसका हित, मिल कर सोचें- ।।किशन पटनायक।।
बिक्री लायक पदार्थो को ‘पण्य’(माल) कहा जाता है और उनके संग्रह को ‘संपत्ति’. आधुनिक समाज में संपत्ति को मूल्यों (रुपयों) में आंका जाता है. मैं अगर करोड़पति हूं, तो मेरी संपत्ति का मूल्य करोड़ों रुपयों में है. दुनिया में जितनी भी संपत्ति है, उनके मूल में हैं प्राकृतिक संसाधन. मेहनत, बुद्धि और मशीनों के द्वारा प्राकृतिक संसाधनों से विभिन्न पण्य वस्तुओं को बनाया जाता है. मशीनें भी खनिज धातु यानी प्राकृतिक...
More »सियासत और नर्मदा की आफत- शिरीष खरे
कुछ बुनियादी सवालों की उपेक्षा करके राजनीतिक फायदे के लिए प्रचारित की जा रही नर्मदा-क्षिप्रा जोड़ने की परियोजना काफी भयावह नतीजे दे सकती है. शिरीष खरे की रिपोर्ट. 29 नवंबर, 2012 का दिन और स्थान था इंदौर जिले का उज्जैनी गांव. मध्य प्रदेश में यह आगामी नवंबर में होने वाले विधानसभा चुनाव से ठीक एक साल पहले का समय था. तब इस गांव में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने भाजपा के वरिष्ठ...
More »लोहा नहीं अनाज चाहिए- विनोद कुमार
जनसत्ता 20 अगस्त, 2013 : झारखंड बनने के बाद प्रभु वर्ग ने इस बात को काफी जोर-शोर से प्रचारित-प्रसारित किया है कि झारखंड का विकास और झारखंडी जनता का कल्याण उद्योगों से ही हो सकता है और खनिज संपदा से भरपूर झारखंड में इसकी अपार संभावनाएं हैं। यह प्रचार कुछ इस अंदाज में किया जाता है मानो झारखंड में पहली बार औद्योगीकरण होने जा रहा है। हकीकत यह है कि...
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