ग्लोबल वार्मिंग से बढ़ रहे खतरे और जलवायु परिवर्तन के प्रभावों ने भविष्य के लिए नये सवाल खड़े कर दिये हैं. इससे बाढ़, सूखा, तूफान और पिघलती बर्फ के अलावा आॅक्सीजन की कमी भी हो सकती है. ‘साइंस डेली' के मुताबिक, ब्रिटेन की यूनिवर्सिटी आॅफ लीसेस्टर के एप्लाइड मैथेमैटिक्स के प्रोफेसर सरगेइ पेट्रोव्स्की के नेतृत्व में इस संबंध में एक नया शोध किया गया है. उनका कहना है कि उन्होंने ग्लोबल...
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भोपाल गैस पीड़ितों के बच्चों का इलाज भगवान भरोसे
भोपाल : वर्ष 1984 में हुई दुनिया की भीषणतम औद्योेगिक त्रासदी, भोपाल गैस हादसे की 31 वीं बरसी के एक दिन पहले गैस पीडितों के इलाज के लिये काम करने वाले गैर सरकारी संगठन एनजीओ ‘संभावना ट्रस्ट' के अध्ययन में गैस पीड़ित या बंद पड़े यूनियन कार्बाइड कारखाने के आसपास के इलाकों के प्रदूषित भूजल से पीड़ित माता-पिता के जन्मजात विकृतिग्रस्त पैदा हुए 2500 बच्चों की पहचान करने का दावा...
More »देश को सुधारों से आगे सोचना होगा-- आकार पटेल
एक सुपर पावर बनने के लिहाज से भारत के लिए क्या चीजें जरूरी हैं? पहली चीज तो यह है कि उसे एक महाशक्ति यानी ग्रेट पावर होना होगा. अंतरराष्ट्रीय संबंध में इसे एक संप्रभु राष्ट्र के रूप में परिभाषित किया गया है- जिसके पास वैश्विक स्तर पर अपने प्रभाव के प्रयोग की योग्यता होती है. हम संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद् के पांच स्थायी सदस्यों- अमेरिका, चीन, फ्रांस, रूस और ब्रिटेन-...
More »अन्न की बर्बादी और भूख-- रविशंकर
हर साल देश में करीब पचास हजार करोड़ रुपए का अनाज बर्बाद हो जाता है। एक ऐसे देश में जहां करोड़ों की आबादी को दो जून ठीक से खाना नहीं नसीब होता, वहां इतनी मात्रा में अनाजों की बर्बादी किस तरह की कहानी कहती है? इसकी पड़ताल कर रहे हैं रविशंकर। यह विडंबना नहीं, उसकी पराकाष्ठा है कि सरकार किसानों से खरीदे गए अनाज को खुले में छोड़कर अपना कर्तव्य पूरा...
More »दुनिया में देश की साख पर बट्टा क्यों? - मेघनाद देसाई
एक ऐसे समय में जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 'सबका साथ, सबका विकास" की भावना के साथ देश-विदेश में भारत की छवि को चमकाने और देश की अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाने तथा उसमें सुधार की पुरजोर कोशिश में लगे हुए हैं, तब दूसरी ओर देश में राष्ट्रीय मीडिया के एक बड़े हिस्से और खासकर टीवी चैनलों और कुछ अखबारों में नकारात्मक खबरों को न केवल अत्यधिक महत्व दिया जा रहा...
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