SEARCH RESULT

Total Matching Records found : 234

मजहबी तालीम से आगे बढ़ें मदरसे - तुफैल अहमद

पिछले दशकों के आंकड़े गवाह हैं कि मदरसों में पढ़ने वाले भारतीय मुसलमान भौतिकशास्त्री, अर्थशास्त्री, चार्टर्ड एकाउंटेंट, सॉफ्टवेयर इंजीनियर, डॉक्टर और यहां तक कि राजनीतिज्ञ भी नहीं बन पाते। मदरसे मुस्लिमों को सार्वजनिक जीवन से बाहर रखने के कारक बन जाते हैं। हां, कुछ मदरसों के छात्र आधुनिक पेशे में प्रवेश पा लेते हैं, लेकिन इसमें मदरसों की भूमिका नहीं है, बल्कि यह उनका व्यक्तिगत सद्प्रयास है। इस बात के भी...

More »

मुसलमान होने के कारण युवक को नौकरी देने से इनकार, अल्पसंख्यक आयोग ने स्पष्टीकरण मांगा

मुंबई: कथित धार्मिक भेदभाव के एक मामले में एक युवा एमबीए स्नातक को उसके मुसलमान होने के कारण एक हीरा निर्यात कंपनी ने नौकरी देने से इनकार कर दिया. इस पर राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग (एनसीएम) ने व्यवसाय प्रतिष्ठान से स्पष्टीकरण मांगा है. भाजपा नीत केंद्र सरकार ने कथित घटना की निन्दा की है और कहा है कि धार्मिक भेदभाव बर्दाश्त नहीं किया जा सकता. मुंबई से बिजनेस मैनेजमेंट में स्नातक जीशान...

More »

इंसान के जमीर की आवाज का जागना - गोपालकृष्‍ण गांधी

जमीर क्या है? दिल-ओ-दिमाग से भी आगे, एक ऐसे कोने में सिकुड़कर बैठा हुआ एक खयाल, जो कि अकसर खामोश रहता है, आसपास के शोरगुल से कोई ताल्लुक ना रखते हुए, वो अपने खयालों में खोया-खोया रहता है। लेकिन कभी-कभी, वह यकायक उठ खड़ा होता है, अंगड़ाई लेता है और फिर ऐसे बोलता है कि उसकी आवाज को सुनना पड़ता है। किस जुबान में बोलता है जमीर? क्या जिस इंसान में उसका घर...

More »

पांच एकड़ से ज्यादा जमीन 8.6% सवर्ण हिंदू परिवारों के पास

पटना: आम धारणा है कि बिहार की ऊंची जातियों के पास ही जमीन का रकबा संकेंद्रित हैं. पर सवर्ण आयोग की रिपोर्ट इस धारणा को खंडित करती है. हिंदुओं की ऊंची जाति के 55.1 फीसदी और मुसलमानों की ऊंची बिरादरी के 86.1 फीसदी हाउसहोल्ड (परिवार) के पास जमीन का मामूली टुकड़ा है. ये ऐसे परिवार हैं, जिसके पास एक एकड़ से भी कम जमीन है. इसका अर्थ है कि हिंदुओं...

More »

राजनीतिक दलों में दलितों को लुभाने की होड़ - शिवानंद तिवारी

यह सबने देखा कि पिछले दिनों करीब-करीब सभी दलों में आंबेडकर जयंती मनाने को लेकर किस कदर होड़ रही। इस होड़ ने यही साबित किया कि दलित वोट की महत्ता आज पहले की तुलना में कहीं ज्यादा बढ़ गई है। दलितों को मतदान का अधिकार तो शुरू से ही है, लेकिन समाज में अपनी दयनीय स्थिति और राजनीतिक चेतना के अभाव में दलित समाज अपने इस अधिकार का इस्तेमाल नहीं...

More »

Video Archives

Archives

share on Facebook
Twitter
RSS
Feedback
Read Later

Contact Form

Please enter security code
      Close