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न्यूज क्लिपिंग्स् | पांच एकड़ से ज्यादा जमीन 8.6% सवर्ण हिंदू परिवारों के पास

पांच एकड़ से ज्यादा जमीन 8.6% सवर्ण हिंदू परिवारों के पास

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published Published on Apr 28, 2015   modified Modified on Apr 28, 2015
पटना: आम धारणा है कि बिहार की ऊंची जातियों के पास ही जमीन का रकबा संकेंद्रित हैं. पर सवर्ण आयोग की रिपोर्ट इस धारणा को खंडित करती है. हिंदुओं की ऊंची जाति के 55.1 फीसदी और मुसलमानों की ऊंची बिरादरी के 86.1 फीसदी हाउसहोल्ड (परिवार) के पास जमीन का मामूली टुकड़ा है. ये ऐसे परिवार हैं, जिसके पास एक एकड़ से भी कम जमीन है. इसका अर्थ है कि हिंदुओं और मुसलमानों की अत्यंत छोटी आबादी का जमीन के बड़े बड़े भाग पर एकाधिकार है.

रिपोर्ट में कहा गया है कि पांच एकड़ तक कृषि योग्य भूमि रखनेवाली हिंदुओं की ऊंची जाति के परिवारों का प्रतिशत मात्र 8.6 और मुसलमानों की ऊंची जाति के परिवारों का प्रतिशत 1.1 फीसदी है. यहां ध्यान देने की बात है कि 2011 की जनगणना के अनुसार राज्य के ग्रामीण क्षेत्र में रहनेवाले सभी परिवारों के 50 प्रतिशत के पास जमीन नहीं है यानी यह आबादी भूमिहीन है. ऐसे परिवारों में अगड़े-पिछड़े सभी शामिल है.

ग्रामीण क्षेत्र में रहनेवाली ऊंची जाति के परिवारों के पास औसतन कृषि योग्य भूमि का रकबा 1.91 फीसदी (हिंदू) और 0.45 फीसदी (मुसलमान) के पास है. अगर हिंदुओं की ऊंची जातियों के बीच देखें, तो भूमिहार ऐसी बिरादरी है, जिसके पास कृषि योग्य भूमि का टुकड़ा औसत परिवार 2.96 एकड़ है. औसत राजपूत परिवारों के पास 1.99 एकड़, ब्राrाण परिवारों के पास 1.40 एकड़ और कायस्थ परिवारों के पास 1.01 एकड़ कृषि योग्य जमीन है.

दूसरी ओर मुसलमानों की ऊंची बिरादरी के पठान परिवारों के पास औसत कृषि योग्य जमीन 0.48 एकड़, शेख के पास 0.46 और सैयद परिवारों के पास औसत जमीन 0.37 एकड़ है.

दिलचस्प तथ्य यह है कि ग्रामीण क्षेत्र में हिंदुओं और मुसलमानों की ऊंची जातियों के हाथ से जमीन का टुकड़ा निकल रहा है. जमीन खरीदने और बेचने के रुझानों पर गौर करें, तो पिछले तीन वर्षो के दौरान हिंदुओं और मुसलमानों की ऊंची जातियों के 6.5 फीसदी परिवारों ने जमीन का टुकड़ा बेच दिया, जबकि खरीदने के मामले में यह प्रतिशत महज 1.1 फीसदी परिवारों तक ही सीमति रहा. इसमें भी देखें, तो हिंदुओं की ऊंची जाति के 7.5 फीसदी परिवारों को अपनी जमीन का एक हिस्सा बेचना पड़ा, जबकि मुसलमानों की ऊंची बिरादरी के 3.4 फीसदी परिवारों के साथ से जमीन का टुकड़ा निकल गया. दोबारा जमीन खरीदने का प्रतिशत हिंदुओं की ऊंची जाति के परिवारों में 1.2 फीसदी और मुसलमानों में 1.0 फीसदी देखा गया.

 


http://www.prabhatkhabar.com/news/bihar/story/411649.html


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