लगातार दो कमजोर मॉनसून और लापरवाह जल-प्रबंधन के कारण देश में सूखे का संकट उत्तरोत्तर गंभीर होता जा रहा है. देश की करीब आधी आबादी सूखा और जल-संकट की चपेट में है. कई इलाकों में तो दो साल से अधिक समय से यह स्थिति व्याप्त है. अत्यंत गंभीर रूप से प्रभावित क्षेत्रों से बड़ी संख्या में ग्रामीण पलायन को मजबूर हैं. सरकारी तंत्र इस विपदा से निबटने में न सिर्फ...
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हरित ऊर्जा को सस्ता बनाना ही समाधान- ब्योर्न लॉम्बॉर्ग
आज दुनिया भर के तमाम नेता अब तक के सबसे खर्चीले जलवायु परिवर्तन समझौते पर हस्ताक्षर करने वाले हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी इन नेताओं में शामिल होंगे। मगर सच यही है कि पेरिस समझौते की जितनी कीमत हम चुकाने वाले हैं, उसकी उपलब्धि उतनी ही कम रहने वाली है। इस समझौते में औसत वैश्विक तापमान में हो रही वृद्धि को औद्योगिक युग के पहले के स्तर से दो डिग्री...
More »अच्छे संस्थान की फीस और भूमिका- हरिवंश चतुर्वेदी
मानव संसाधन मंत्रालय ने आईआईटी की फीस अगले सत्र (2016-17) से बढ़ाने का फैसला आखिर ले ही लिया। अभी तक यह फीस 90 हजार रुपये सालाना थी, जो अब दो लाख रुपये कर दी गई है। हालांकि, आईआईटी (मुंबई) के निदेशक देवांग खाखर की उप-समिति ने आईआईटी काउंसिल को इसे तीन लाख रुपये सालाना करने का सुझाव दिया था। दलित, पिछड़़े, विकलांग और गरीब वर्ग के छात्रों के लिए फीस...
More »हमारे धनकुबेर और टैक्स हेवन - मोहन गुरुस्वामी
हमारे देश के ऊंचे और रसूखदार लोगों का किया-धरा धीरे-धीरे अब सार्वजनिक जानकारी के दायरे में आता जा रहा है। पनामा पेपर्स का खुलासा इनमें सबसे ताजातरीन मामला है। इन खुलासों ने हड़कंप मचा दिया है कि भारत की कम से कम पांच सौ आलातरीन शख्सियतों की पनामा में फर्जी कंपनियां हैं, जिनका मकसद मनी लॉन्ड्रिंग या धन छिपाना था। इस खुलासे के बाद ज्यादा से ज्यादा यही कहा जा...
More »सफेद इमारतों के काले साये- अनिल रघुराज
जहां चाह है, वहां धंधा है और ज्यादा चाह है, वहां काला धंधा है. देश में जमीन-जायदाद या रियल एस्टेट के धंधे का सालोंसाल से यही हाल है. उद्योग संगठन फिक्की के एक अध्ययन के मुताबिक, देश में सबसे ज्यादा कालाधन रियल एस्टेट में लगा है, सोने व चांदी से भी ज्यादा. कम-से-कम अगले छह सालों तक इस धंधे में मंदी के कोई आसार भी नहीं हैं. केंद्र सरकार ने...
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