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मारिया रेसा : 'आप सत्य के लिए क्या बलिदान कर सकते हैं?'

-न्यूजलॉन्ड्री, सम्माननीय महाराज, राज परिवार के सदस्य, नॉर्वे की नोबेल कमेटी के सम्मानीय सदस्य, मौजूद महामहिम और सम्माननीय अतिथि गण. मैं आपके सामने दुनिया के हर पत्रकार की प्रतिनिधि बनकर खड़ी हूं जिसे डटे रहने, अपने मूल्यों और अभियान के प्रति ईमानदार रहने के लिए बहुत कुछ बलिदान करना पड़ता है. ताकि हम सत्ता की जवाबदेही तय कर सकें और आप तक सच ला सकें. मुझे याद है जमाल खशोगी का क्रूरता...

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आवरण कथा: कोविड-19 वैक्सीन पर नियंत्रण की लड़ाई

-डाउन टू अर्थ, कोविड-19 महामारी के दौर में जोनस साल्क की याद पोलियो टीके को विकसित करने और उसका पेटेंट न करने वाले साल्क का दर्शन आज के दवा शोधकर्ताओं के लिए अभिशाप है एक थे जोनस साल्क। कुछ लोगों को बताने की जरूरत है कि वह कौन थे। साल्क एक वायरोलॉजिस्ट थे जिन्होंने 1955 आए पोलियो के टीके को सफलतापूर्वक विकसित किया था। यह वह समय था जब पोलियो दुनियाभर की स्वास्थ्य...

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दिल्ली के गरीब भूखे और हताश हैं, उनके पेट में भूख की 'आग' जल रही है

-न्यूजक्लिक, बढ़ते कर्ज़, महीनों का बकाया किराया, बेटी की शादी के लिए लिया गया कर्ज़ और अपने दो बेटों की शिक्षा पर होने वाले खर्च ने, हसनारा बेगम की रातों की नींद हराम कर रखी है और उसका परिवार दैनिक भोजन के इंतजाम के लिए संघर्ष कर रहा है। पश्चिम बंगाल के उत्तर दिनाजपुर की रहने वाली हसनारा बेगम दिल्ली के उन लाखों निवासियों में शामिल हैं जिनके पास राशन कार्ड नहीं...

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इस साल दुनिया भर में रिकॉर्ड संख्या में पत्रकारों को जेल में डाला गया या हत्या हुई: रिपोर्ट

-द वायर, कमेटी टू प्रोटेक्ट जर्नलिस्ट (सीपीजे) की एक हालिया रिपोर्ट के मुताबिक एक दिसंबर 2021 तक दुनिया भर में 293 पत्रकार अपने काम के लिए विभिन्न देशों की जेलों में बंद थे. यह लगातार छठा साल है जब 250 से अधिक पत्रकारों के जेल में बंद रहे हैं. समिति की रिपोर्ट, जिसे इसके संपादकीय निदेशक अर्लीन गेट्ज़ ने लिखा है, में यह भी उल्लेख किया गया है कि इस दौरान कम से कम...

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फ्रांस की क्रांति, अरब- क्रांति, खाद्य-पदार्थों की कीमतें और जलवायु-परिवर्तन

-डाउन टू अर्थ, यह साल अब खत्म होने को है। कोरोना महामारी, अपने नए ओमिक्रॉन रूप के साथ थमने का नाम नहीं ले रही है, और जलवायु परिवर्तन की पहले से मौजूद विपदा भी नए रिकॉर्ड बनाती जा रही है। ऐसे में दिसंबर की शुरुआत में ही एक नए झटके ने हम सब पर असर डाला-वह है खाद्य-पदार्थों की बढ़ती कीमतों में जलवायु-परिवर्तन की भूमिका।   कोरोना ने जिन करोड़ों लोगों को गरीबी...

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