हाल में देश में बर्बाद हो रहे अनाज को लेकर इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कड़ा रुख अपनाते हुए आदेश दिया कि उन अधिकारियों की तनख्वाह काट ली जानी चाहिए जिनकी वजह से अनाज सड़ता है। अदालत ने कहा कि एफसीआई या राज्य के गोदामों में अनाज ठीक ढंग से नहीं रखा जाता है। ऐसे में निगरानी विभाग और पुलिस की आर्थिक अपराध शाखा को उन अधिकारियों के खिलाफ मुकदमा चलाना चाहिए। उल्लेखनीय है कि पिछले...
More »SEARCH RESULT
आजाद देश की गुलाम किशोर आबादी ?
एक अरब इक्कीस करोड़ की आबादी वाले भारत में 20 फीसदी व्यक्ति किशोर उम्र (10-19साल) के हैं, मतलब किसी भी अन्य देश के किशोरवय लोगों की संख्या की तुलना में ज्यादा।( भारत में इस उम्र के लोगों की कुल तादाद 24 करोड़ 30 लाख है जबकि चीन में किशोरवय लोगों की संख्या तकरीबन 20 करोड़ है।) हरियाणा के बागपत और असम के गुवाहाटी से आने वाले महिला-उत्पीड़न की खबरों के बीच यह जानना महत्वपूर्ण...
More »'जनशक्ति को धनशक्ति के हाथों हाईजैक होने से रोकने के लिए बंद हो कारपोरेट फंडिंग'
नागपुर। माकपा नेता सांसद डा. सीताराम येचुरी ने कहा कि जनशक्ति को धनशक्ति के हाथों हाईजैक होने से रोकने के लिए राजनीतिक पार्टियों को मिलनेवाला कारपोरेट चंदा बंद होना चाहिए। चंदे को टैक्स फ्री करना चिंताजनक है। कारपोरेट फंडिंग सीधे सिस्टम को होनी चाहिए। आज महज 55 लोगों के हाथों देश की अर्थ व्यवस्था है। सामाजिक संगठन जनमंच की ओर से नागपुर विद्यापीठ के दीक्षांत सभागृह में आयोजित स्व. न्या. अशोक देसाई स्मृति...
More »भूख के खिलाफ अधूरी जंग- तवलीन सिंह
उस बच्चे की तसवीर इतनी भयानक, इतना दिल दहला देने वाली थी, कि मुंबई शहर में सिर्फ एक अखबार ने उसे छापा अपने पहले पन्ने पर। यह तसवीर उस दिन छपी, जब महाराष्ट्र की सरकार ने पिछले सप्ताह स्वीकार किया कि बीते वर्ष 24,000 बच्चे कुपोषण के कारण मर गए, भारत के इस सबसे विकसित राज्य में। महिला एवं शिशु विकास मंत्री वर्षा गायकवाड़ ने विधानसभा को एक लिखित जवाब...
More »गंगा के गुनहगार- स्वामी आनंदस्वरुप
जनसत्ता 12 जुलाई, 2012: गंगा का नाम लेने मात्र से पवित्रता का बोध होता है। यह देश की एकता और अखंडता का माध्यम और भारत की जीवन रेखा के अतिरिक्त और बहुत कुछ है। गंगा जीवनदायिनी और मोक्षदायिनी दोनों है। आज भी लगभग तीस करोड़ लोगों की जीविका का माध्यम है। मगर पिछली डेढ़ सदी से गंगा पर हमले पर हमले किए जा रहे हैं और हमें जरा भी अपराध-बोध नहीं...
More »