शिमला : किसानों को अब परंपरागत खेती की ओर मुड़ना ही होगा। यदि समय रहते किसानों ने पुरानी कृषि पद्धति को नहीं अपनाया तो भविष्य में इसके भयावह परिणाम भुगतने होंगे। कृषि पद्धति ही नहीं किसानों को खेती में विविधता भी लानी होगी क्योंकि अधिक रसायन के प्रयोग के कारण हिमाचल की मिट्टी से पोषक तत्व खत्म होते जा रहे हैं। विकसित देश अब भारत में की जाने वाली परपंरागत कृषि...
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मुद्रास्फीति दर बढ़कर 10.16 फीसदी हुई
नई दिल्ली। खाद्य पदार्थो की महंगाई का असर अब विनिर्मित उत्पादों में भी दिखने लगा है। खाद्यान्नों और कुछ विनिर्मित उत्पादों के दाम बढ़ने से सकल उपभोक्ता वस्तुओं के थोक मूल्य सूचकांक पर आधारित मुद्रास्फीति मई में दहाई अंक के आंकडे़ पर छलांग लगाती हुई 10.16 प्रतिशत हो गई। इससे पहले अप्रैल में मुद्रास्फीति 9.59 प्रतिशत थी। मई के आंकडे़ आने के साथ ही मार्च के मुद्रास्फीति के आंकड़ों को...
More »और चढ़ा खाद्य महंगाई का पारा
नई दिल्ली। खाने-पीने की चीजों के दामों में लगातार दूसरे सप्ताह तेजी आई है। चावल, गेहूं, दाल, दूध और फलों की कीमतों में वृद्धि के चलते 29 मई को समाप्त सप्ताह में खाद्य मुद्रास्फीति की दर बढ़कर 16.74 प्रतिशत हो गई। इससे पूर्व सप्ताह में खाद्य पदार्थो के थोक मूल्यों पर आधारित महंगाई की यह दर 16.55 प्रतिशत पर थी। विशेषज्ञों के मुताबिक खाद्य महंगाई की दर में वृद्धि के इस...
More »मूंग की दाल में लगी आग
नई दिल्ली। लगातार दूसरे सप्ताह खाद्य मुद्रास्फीति की दर में बढ़ोतरी के साथ ही मूंग की दाल के दाम भी सातवें आसमान पर हैं। इतना ही नहीं यह सबसे महंगी दाल बन गई है। खुदरा बाजार में इस दाल की कीमत महज दो हफ्तों के भीतर 11 रुपये प्रति किलो तक बढ़ गई है। राष्ट्रीय राजधानी में यह फुटकर में 105 रुपये प्रति किलो के हिसाब से बिक रही है। जबकि 14...
More »फिर भी नहीं गलती दाल
नई दिल्ली [सुरेंद्र प्रसाद सिंह]। जबर्दस्त समर्थन मूल्य और इसका तीन गुना बाजार मूल्य। फिर भी दलहन की खेती में दाल नहीं गल रही है। मांग व आपूर्ति के भारी अंतर कारण होने वाला जबर्दस्त मुनाफा भी किसानों को नहीं लुभा पा रहा है। पिछले पांच सालों में न्यूनतम समर्थन मूल्य [एमएसपी] दोगुना से अधिक बढ़ा है और बाजार मूल्य पांच गुना। लेकिन दलहन खेती के रकबे में मामूली वृद्धि हो पाई...
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