जगराओं। यदि बिजली नहीं है, गैस सिलेंडर की भी किल्लत है, लेकिन आपको गर्म पानी की आवश्यकता है तो परेशान होने की जरूरत नहीं है। अब नहाने से लेकर घरेलू कामकाज के लिए देसी गीजर आ गया है। गीजर को चलाने के लिए ना बिजली की जरूरत है और ना ही गैस सिलेंडर की। देसी गीजर मात्र एक -दो रुपये में पूरे तीस लीटर गर्म पानी तैयार कर सकता है, जो दिनभर गर्म...
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किसानों ने खुद बदली अपनी किस्मत
भोपाल. योजनाएं चलाने में उनका इस्तेमाल करने वालों की भूमिका समाज को कैसे खुशहाल बना देती है,इसका उदाहरण हैं मान और जोबट सिंचाई परियोजनाएं। धार-झाबुआ जिले की इन दो परियोजनाओं के कमांड क्षेत्र में आने वाले किसानों की समझदारी और भागीदारी से 71 गांवों की तकदीर बदल गई है।इसके चलते इन गांवों में पक्के मकानों की तादाद में 14 फीसदी, बाइक संख्या में 16 और बैंक खातों में 35 प्रतिशत इजाफा हुआ है। वहीं...
More »अमेरिका में हर तीन में से एक कामकाजी परिवार संकट में
वाशिंगटन. अमेरिका में निम्न आय वर्ग के हर तीन में से एक कामकाजी व्यक्ति को रोजगार के लिए कड़ा संघर्ष करना पड़ रहा है, जिससे पूरा परिवार अपनी मूलभूत जरुरतों के लिए जूझ रहा है। इन परिवारों पर अमेरिकी जनगणना विभाग द्वारा किए एक अध्ययन के बाद यह खुलासा हुआ है। ये परिवार अधिकारी वर्ग की तुलना में औसतन 200 फीसदी से भी कम कमा रहे हैं। पूरे देश में इन कामकाजी परिवारों की संख्या भी...
More »क्या सोचा क्या पाया
जिन सपनों को लेकर एक दशक पहले उत्तराखंड राज्य का गठन हुआ था उनमें से कितने सपने आंखों से उतरकर जमीन पर चल पाए हैं? नौ नवंबर को उत्तराखंड राज्य दस साल का हो गया. दस साल की उम्र किसी राज्य का भविष्य तय करने के लिए काफी नहीं होती, पर ‘पूत के पांव पालने में ही दिख जाते हैं’ वाली कहावत के हिसाब से देखा जाए तो उस भविष्य का अंदाजा लगाने के...
More »जैविक का व्यापार, एनजीओ और सरकार --- योगेश दीवान
कितना आश्चर्यजनक है कि अचानक मध्यप्रदेश के कृषि मंत्री पानी बाबा की तर्ज पर ''जैविक बाबा'' हो जाते हैं और मुख्यमंत्री जैविक प्रदेश घोषित करने के लिये धन्यवाद के पात्र. ये वही मुख्यमंत्री और कृषि मंत्री हैं, जो कुछ दिन पहले तक और अभी भी प्रदेश की खेतिहर जमीन को बड़ी ही सामंती उदारता से बड़ी-बड़ी कंपनियों को बांटते हुए फोटो खिंचा रहे थे. इसे परंपरागत जैविक के एकदम खिलाफ...
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