SEARCH RESULT

Total Matching Records found : 3558

बात निकली है तो दूर तलक जाएगी - भवदीप कांग

गजेंद्र सिंह की मौत का राजनीतिकरण इस पूरे प्रकरण का सबसे दु:खद पहलू था। हो सकता है उसकी आत्महत्या 'जेनुइन" हो। यह भी हो सकता है, जैसा दिल्ली पुलिस का मानना है कि उसकी आत्महत्या महज एक दुर्घटना हो, एक नाटकीय प्रसंग। लेकिन गजेंद्र की मौत इन मायनों में अपने लक्ष्य को अर्जित करने में जरूर कामयाब रही कि उसने किसानों की दुर्गति की ओर पूरे देश का ध्यान आकृष्ट...

More »

अब यूपी के किसान ने जिलाधिकारी कार्यालय के सामने लगायी फांसी

बाराबंकी : जिले में फसल खराब होने से परेशान, कर्ज के बोझ से दबे एक किसान ने कचहरी के मुख्य द्वार के सामने पेड पर फांसी लगाकर खुदकुशी कर ली. पुलिस ने मामला दर्ज कर पोस्‍टमार्टम के लिए भेज दिया है. जिलाधिकारी योगेश्वर राम मिश्र ने यहां बताया कि हैदरगढ के दतौली गांव के निवासी 35 वर्षीय किसान आशाराम ने तडके करीब पांच बजे कचहरी के मुख्य द्वार के सामने स्थित...

More »

मौत को भी तमाशा बनाने की फितरत - गिरीश्‍वर मिश्र

भारत के सामाजिक इतिहास में यह घटना अविस्मरणीय रहेगी कि एक राजनीतिक-सामाजिक मंच के आयोजन के दौरान, जिसमें एक प्रदेश का नामचीन मुख्यमंत्री भी शिरकत कर रहा हो, दिनदहाड़े सबकी आंखों के सामने एक किसान पेड़ पर चढ़ता है, ऊंची डाल पर बैठता है, फांसी का फंदा बनाता है और उससे लटककर मौत को गले लगा लेता है। यह घटनाक्रम सभी देख रहे हैं, पर सभा पूर्ववत जारी रहती है।...

More »

खुद को जिंदा साबित करने दफ्तरों में भटक रहा किसान

बीना (निप्र)। मालथौन तहसील के हिरनछिपा गांव में पटवारी ने एक किसान को कागजों में मृत घोषित कर उसकी पट्टे की जमीन को दूसरे के नाम कर दी। पटवारी का यह कारनामा उजागर होने के बाद पूरा गांव सन्ना है, वहीं किसान अपने आप को जिंदा साबित करने के लिए पंचायत से लेकर जनपद, तहसीलदार और एसडीएम के दफ्तर में चक्कर काट काट कर परेशान हो गया है। इतना ही नहीं...

More »

कृषि क्षेत्र की लगातार उपेक्षा- पवन के वर्मा

सरकार की आर्थिक दृष्टि औद्योगिक गलियारों, राजमार्गों, बुलेट ट्रेनों और स्मार्ट शहरों तक ही सीमित है. भारत को इनकी जरूरत है, लेकिन सरकार एकतरफा ढंग से उस भारत को छोड़ इन लक्ष्यों के पीछे नहीं भाग सकती है जहां आत्महत्याओं की संख्या और लोगों की तकलीफें बेतहाशा बढ़ रही हैं. भाजपा को याद करना चाहिए कि सर्वाधिक 18,241 आत्महत्याएं 2004 में हुई थीं, जब पार्टी ‘शाइनिंग इंडिया' की बात करती...

More »

Video Archives

Archives

share on Facebook
Twitter
RSS
Feedback
Read Later

Contact Form

Please enter security code
      Close