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संकट में है भूजल और नदी का रिश्ता

-वाटर पॉर्टल, पिछले कुछ बरसों से, नदियों और भूजल का पुराना अन्तरंग कुदरती रिश्ता बुरी तरह बिगड़ा हुआ है। अनदेखी के कारण इन दिनों वह कुछ अधिक ही बदहाल है। यह रिश्ता सुधरने के स्थान पर साल-दर-साल और अधिक बिगड़ रहा है। उसका संकट बढ़ रहा है। रिश्ते के संकटग्रस्त होने के कारण नदियों के गैर-मानसूनी प्रवाह की मात्रा और अवधि घट रही है। पानी की गुणवत्ता बिगड़ रही है। नदी-तंत्र...

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हरियाणाः धरना दे रहे किसानों के बीच पहुंचे भाजपा नेता बोले- ये सबका आंदोलन

-द वायर, पूर्व केंद्रीय मंत्री और भाजपा नेता चौधरी बीरेंद्र सिंह ने केंद्र सरकार के तीन नए कृषि कानूनों के खिलाफ किसानों के आंदोलन को अपना समर्थन दिया है. इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, उनका कहना है कि नए कृषि कानूनों के खिलाफ किसानों का प्रदर्शन सबका आंदोलन है. वह शुक्रवार को हरियाणा के झज्जर जिले के सैंपला में किसानों के धरने में पहुंचे थे. इस धरने का आयोजन सर छोटू राम...

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लॉकडाउन के बाद भी भुखमरी और सिकुड़ती आय के खतरे बरकरार!

11 राज्यों के 3,994 उत्तरदाताओं के बीच एक सर्वेक्षण के प्रारंभिक निष्कर्षों से पता चलता है कि अधिकांश कमजोर परिवारों और समुदायों, जैसे कि एससी, एसटी, ओबीसी, पीवीटीजी, झुग्गी-झोंपड़ी में रहने वाले, दिहाड़ी मजदूर, किसान, एकल महिला परिवार, इत्यादि में लॉकडाउन से पहले उनकी आय के स्तर की तुलना में सितंबर-अक्टूबर के दौरान उनकी आय कम रही है. राइट टू फूड कैंपेन और सेंटर फॉर इक्विटी स्टडीज (टेलीफोनिक सर्वेक्षण के...

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पेरिस समझौते के 5 साल: भारत के 75 फीसदी से ज्यादा जिलों पर मंडरा रहा है जलवायु परिवर्तन का खतरा

-डाउन टू अर्थ, हाल ही में काउंसिल ऑन एनर्जी, एनवायरनमेंट एंड वाटर (सीइइडब्लू) द्वारा किए शोध से पता चला है कि देश में 75 फीसदी से ज्यादा जिलों पर जलवायु परिवर्तन का खतरा मंडरा रहा है। इन जिलों में देश के करीब 63.8 करोड़ लोग बसते हैं। यह अध्ययन पिछले 50 सालों (1970-2019) के दौरान भारत में आई बाढ़, सूखा, तूफान जैसी मौसम सम्बन्धी आपदाओं के विश्लेषण पर आधारित है। इसमें...

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त्योहारी सीजन के दौरान भी व्यक्तिगत ऋणों में दिखे गिरावट के रूझान

इस साल धनतेरस और दिवाली से ठीक पहले, भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने अपने मासिक बुलेटिन का नवंबर संस्करण जारी किया. नवीनतम आरबीआई मंथली बुलेटिन में बताया गया है कि पिछले वर्ष की इसी अवधि के दौरान सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) की तुलना में वित्तीय वर्ष 2020-21 की दूसरी तिमाही (यानी जुलाई-सितंबर, 2020) में जीडीपी में -8.6 प्रतिशत की गिरावट दर्ज की गई है. यह गौरतलब है कि भारत की...

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