नौवें दशक के बाद से भारतीय राजनीति में दलित दलों और दलित नेताओं की स्वतंत्र पहचान बनी है और उत्तर प्रदेश जैसे कुछ राज्यों में उन्हें सत्ता में हिस्सेदारी का सीधा मौका भी मिला है। पर अब इस प्रश्न पर विचार करने की जरूरत है कि इस पूरे राजनीतिक परिदृश्य को हम किस तरह देख सकते हैं। क्या इसे स्वातंत्र्योत्तर भारत में लोकतंत्र की एक महान उपलब्धि के रूप में...
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नीतीश ने PM मोदी से कहा, विशेष राज्य का दर्जा दें, खत्म करें राज्यपाल का पद
नयी दिल्ली : शनिवार को 10 साल के अंतराल में आयोजित अंतरराज्यीय परिषद की बैठक में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने बिहार के सामाजिक और आर्थिक हालात को देखते हुए विशेष राज्य का दर्जा देने की मांग की. उन्होंने पूरे देश में शराबबंदी लागू करने की भी मांग की. साथ ही नीतीश ने राज्यपाल का पद समाप्त करने की मांग करते हुए कहा कि वर्तमान संघीय गणतांत्रिक परिवेश में इस...
More »हीरा-मन हाट हेराया-- अश्विनी भटनागर
पच्चीस साल पहले बाजार खुला था। प्रधानमंत्री नरसिंह राव और वित्तमंत्री मनमोहन सिंह की उदार नीति के तहत यह नई संरचना बनी थी। उससे पहले हाट लगा करती थी। हर हफ्ते या फिर बड़ी जगहों में हफ्ते में दो बार। रोजमर्रा की जरूरतों के लिए पड़ोस में पंसारी था या फेरीवाले। हफ्ते की हाट में खरीद-फरोख्त तो होती ही थी, साथ में गपशप भी हो जाती थी। विक्रेता ग्राहक को...
More »युवा, कट्टरवाद और हिंसा-- संदीप मानुधने
हर तरफ एक घटना स्पष्ट दिखती है- पहले से अधिक संख्या में युवाओं का कट्टरवाद की ओर झुकाव. एक जुड़े हुए विश्व में यह भारी समस्या है, क्योंकि छोटी सी घटना भी सबको दिखने लगती है और तोड़-मरोड़ कर पेश की जा सकती है. एशिया, यूरोप या अमेरिका, सभी जगह नीति-निर्माताओं को चिंता सता रही है कि कैसे इस झुकाव को रोका जाये और सकारात्मकता की ओर मोड़ा जाये. इस...
More »आर्थिक सुधार- नई मंजिलें- पी चिदंबरम
पिछले हफ्ते भारत में आर्थिक सुधार और भारतीय अर्थव्यवस्था के उदारीकरण के पच्चीस साल पूरे हुए। सरकार ने इस अवसर की अनदेखी की, और इसकी वजह समझना मुश्किल नहीं है: आर्थिक सुधार पीवी नरसिंह राव के नेतृत्व में कांग्रेस की सरकार ने शुरू किए थे, और तब भाजपा ने इसका पुरजोर विरोध किया था। (स्वदेशी जागरण मंच का वजूद आज भी है।) कल्पना करें कि 1991 में अटल बिहारी वाजपेयी...
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