वैश्वीकरण के दौर में शिक्षा को व्यक्तित्व और क्षमता के विकास के नजरिए से देखे जाने की जरूरत है, न कि केवल नौकरी के नजरिए से। अगर क्षमता है, योग्यता है तो अवसरों की कमी नहीं होगी, जरूरत होगी केवल सतत प्रयासों की। वर्तमान में शिक्षा को केवल नौकरी से जोड़ कर देखा जाने लगा है। पाठ्यक्रम में दाखिला और फिर उसके पूरा हो जाने पर अंकतालिका और उपाधि और...
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समावेशी विकास के प्रतिमान-- अनंत कुमार
भारत की अलौकिक सुंदरता इसकी संस्कृतियों, परंपराओं, लोगों, प्राकृतिक दृश्यों, भाषाओं आदि की विविधता में निहित है. इसका विशाल विस्तार भी ऐसी चुनौतियां प्रस्तुत करता है, जो केवल इस देश के लिए विशिष्ट हैं. अत: इन विविध चुनौतियों से निपटने के लिए ऐसे उपायों की जरूरत है, जो प्रत्येक स्थिति के लिए उपयुक्त हों. भारत के राष्ट्रीय विकास एजेंडा में अन्य के साथ-साथ गरीबी, सतत विकास, स्वास्थ्य, पोषण, लैंगिक...
More »विश्व बैंक का अनुमान, भारत की वृद्धि दर इस साल 7.3 प्रतिशत रहेगी, कुछ चुनौतियां भी
वाशिंगटन : विश्व बैंक का अनुमान है कि इस साल भारत की आर्थिक वृद्धि दर 7.3 प्रतिशत रहेगी और 2019 तथा 2020 में यह बढ़कर 7.5 प्रतिशत पर पहुंच जायेगी. विश्व बैंक ने कहा कि देश की अर्थव्यवस्था नोटबंदी और माल एवं सेवा कर (जीएसटी) के प्रभावों से निकल चुकी है. विश्व बैंक की सोमवार को जारी साल में दो बार आने वाली दक्षिण एशिया आर्थिक केंद्र रिपोर्ट में कहा,...
More »‘वयं आधुनिका:’-- मृणाल पांडे
आपको यह जानकर अचरज होगा कि जिस तरह आज हम अंग्रेजी में ‘द न्यू रियल' यानी नयी सच्चाई को जगह देकर पुरानी सचाइयों को खारिज कर रहे हैं, वह सिलसिला आज का नहीं, बहुत पुराना है. सदियों से हर नयी पीढ़ी यह दावा करती आयी है कि वह पुरानों से बेहतर है. सबसे पहले का लिखित दावा 11वीं सदी के आसपास का है. इसमें मिथिला के उदयनाचार्य अपने निकट परवर्ती...
More »राह दिखाता केरल मॉडल-- सुभाष गताडे
सत्तर के दशक में केरल का सामाजिक-आर्थिक विकास का माॅडल पूरी दुनिया में सूर्खियां बना था. केरल के लोगों के जीवनस्तर में बढ़ोत्तरी (जो सामाजिक सूचकांकों में प्रतिबिंबित हो रही थी) कई विकसित देशों के बराबर थी, जबकि राज्य की प्रतिव्यक्ति आय बहुत कम थी. इसने पश्चिमी अर्थशास्त्रियों को अंचभित किया था और इसे केरल माॅडल कहा गया था. दिलचस्प बात है कि इन दिनों केरल के दूसरे ‘माॅडल'...
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