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लोक से कटा गंगा-विमर्श -- अनिल चमड़िया

जनसत्ता 15 अक्तूबर, 2014: गंगा के बारे में जो धारणा भारतीय जन-मानस के बड़े हिस्से में सचेतन रूप से खड़ी की गई है, वह केवल धार्मिकता से जुड़ी है। वह धार्मिकता भी बेहद एकांगी है। इस पूरी धारणा ने मानवीय जीवन और खास तौर से समाज की सामूहिक चेतना को बुरी तरह से खंडित किया है। इसने प्रकृति के साथ जीवन के रिश्तों को समझने और उसे समृद्ध करने की...

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25 करोड़ की योजना में लगे 10 अरब

पटना। विभागीय लापरवाही, लाल फीताशाही और लेटलतीफी के दलदल से निकलकर करीब चार दशक बाद दुर्गावती जलाशय परियोजना जनता की सेवा के लिए तैयार है। 10 जून 1976 को 25.30 करोड़ रुपये लागत के अनुमान के साथ शुरू हुई योजना पर अब तक आठ सौ करोड़ रुपये खर्च हो चुके हैं और मुकम्मल तौर पर 1064.28 करोड़ रुपये खर्च होंगे। परियोजना का उद्घाटन बुधवार 15 अक्टूबर को होगा। रोहतास और कैमूर...

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मेक इन इंडिया से मेड इन इंडिया तक - डॉ. पीके चांदे

भारत व जापान अपनी समृद्ध संस्कृतियों के साथ दो महान एशियाई सभ्यताएं हैं। लेकिन हम उनके और अपने विकास के बीच बड़ा फर्क देखते हैं। जापान एक ऐसा देश है, जिसने अपनी रचनात्मकता को उभारा और अपने विकास को वैश्विक व्यवस्था के मुताबिक बनाया। शुरुआत में हमने उनके उत्पाद की गुणवत्ता पर सवाल उठाए, लेकिन आज जापान अपनी गुणवत्ता, विश्वसनीयता और निर्माण प्रक्रियाओं के लिए ही जाना जाता है। अनेक...

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शौचालय इस्तेमाल के लिए लोगों का व्यवहार बदलने पर जोर

नई दिल्ली। देश में खासकर ग्रामीण इलाकों में स्वच्छता कार्यक्रम लागू करने के दौरान सरकार की शीर्ष प्राथमिकता शौचालय के इस्तेमाल को लेकर लोगों के व्यवहार में बदलाव की शुरुआत करने की होगी। सरकार का यह फैसला पेयजल एवं स्वच्छता मंत्री नितिन गडकरी के उस बयान के बाद आया है, जिसमें उन्होंने कहा था कि ग्रामीण इलाकों में निर्मित बड़ी संख्या में शौचालयों को लोगों ने मंदिर या गोदाम में परिवर्तित...

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क्या गरीबी कभी खत्म हो सकती है?- लार्ड मेघनाद देसाई

लॉर्ड मेघनाद देसाई भारतीय मूल के ब्रिटिश अर्थशास्त्री और लेबर पार्टी से जुड़े राजनीतिज्ञ हैं. वह अर्थशास्त्र के विश्वविख्यात संस्थान, लंदन स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स में प्रोफेसर रह चुके हैं. उन्होंने कई किताबें लिखी हैं. उनके 200 से ज्यादा लेख अकादमिक जर्नलों में प्रकाशित हो चुके हैं. वह कई भारतीय व ब्रिटिश अखबारों के लिए नियमित स्तंभ लिखते हैं. 5 सितंबर 2014 को उन्होंने पटना स्थित एशियन डेवलपमेंट रिसर्च इंस्टीट्यूट (आद्री) में...

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