बुजुर्ग समाजवादी चिंतक सच्चिदानंद सिन्हा के लेख व भाषण हम समय-समय पर छापते रहते हैं, जिनमें वह बार-बार चिह्न्ति करते हैं कि पर्यावरण और प्रकृति के विनाश के लिए अगर कोई जिम्मेदार है, तो वो है औद्योगीकरण और उपभोग आधारित अर्थव्यवस्था. और अगर इनसान नहीं चेता, तो इसी की वजह एक दिन वह खुद भी नष्ट हो जायेगा. एक और क्षेत्र उनकी चिंता में स्थायी रूप से रहता है कि अब...
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जन-स्वास्थ्य की पहली शर्त सुरक्षित भोजन- पूनम खेत्रपाल सिंह
कितनी बार हम खुद से पूछते हैं कि जो भोजन हम खा रहे हैं, क्या वह सुरक्षित है? क्या वह जीवाणु, वायरस, रसायनों या मिलावट से रहित है, जो डायरिया से लेकर कैंसर तक 200 तरह के रोगों का कारण बन सकते हैं? हर वर्ष दूषित भोजन व पानी के कारण दुनिया भर में 22 लाख लोग मौत के मुंह में पहुंच जाते हैं, इनमें 19 लाख बच्चे होते हैं।...
More »बेहतर है सब्जी का उत्पादन- एस एस सिंह
देश में सब्जियों की खेती 90.2 लाख हेक्टेयर क्षेत्रफल में की जाती है, जिसमें कुल उत्पादन 16.21 करोड़ टन (162.18 मिलियन टन) होता है। देश में सब्जी की औसत उत्पादकता 17.36 टन प्रति हेक्टेयर है। सब्जियों के क्षेत्रफल में भारत की हिस्सेदारी विश्व में 12.16 प्रतिशत है, जबकि उत्पादन में 11 फीसदी। वैश्विक सब्जी उत्पादन में भारत का स्थान चीन के बाद दूसरा है। पिछले 15 वर्षों में राष्ट्रीय स्तर पर...
More »पर्यावरण समस्या से निपटने के लिए आईआईटी तैयार करेगा इंजीनियरों की फौज
कोलकाता : ऐसे समय पर, जब उद्योगों के विकास की राह में पर्यावरण मंजूरी बडी अडचन बनती जा रही है, आईआईटी खडगपुर ने चुनौतियों से निपटने में मदद के लिए पर्यावरण इंजीनियरों का दल तैयार करने का फैसला किया है. आईआईटी में पर्यावरण विज्ञान और प्रौद्योगिकी का शुरू होने वाला नया स्कूल वर्ष 2015 के शैक्षिक सत्र से बीटेक और एमटेक दोनों स्तरों पर सिविल और पर्यावरण इंजीनियरिंग की दोहरी...
More »धुएं में खांसती आबादी पर मंडराते खतरे - अनिल प्रकाश जोशी
सर्दी ने अभी पूरी तरह दस्तक नहीं दी, लेकिन हमारे शहरों, कस्बों और गांवों ने सुबह-शाम के धुंध और धुंधलके में खांसना-खखारना शुरू कर दिया है। इसका कारण है स्मॉग, जिस पर इस समय पूरी दुनिया में चिंता जताई जा रही है। यह धुएं और ओस से बनता है। जाड़ों में हवा में छोटे-छोटे जलकण धुंध कहलाते हैं, उनके साथ धुएं का जोड़ स्मॉग बन जाता...
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