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क्यों अंतिम वर्ष की परीक्षाओं के मामले में यूजीसी को ज़िद्दी नहीं ज़मीनी होने की जरूरत है

-सत्याग्रह, बीती छह जुलाई को विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) ने स्नातक और परास्नातक के अंतिम वर्ष की परीक्षाओं को लेकर नए दिशा निर्देश जारी किए. इन दिशा निर्देशों में कहा गया है कि देश के सभी विश्वविद्यालयों में 30 सितंबर 2020 तक अंतिम वर्ष या अंतिम सेमेस्टर की परीक्षाएं करा ली जाएं. यूजीसी के इस आदेश का पूरे देश में विरोध हो रहा है. छात्रों और शिक्षाविदों के बाद दिल्ली, पश्चिम...

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प्रवासियों के लिए उठाए गए कदम को सुप्रीम कोर्ट को बताने में विफल रहे 28 राज्य और केन्द्र शासित प्रदेश

-द प्रिंट, 28 राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों में 45 दिन पहले शीर्ष अदालत द्वारा निर्देशित तीन मौजूदा सामाजिक सुरक्षा कानूनों के तहत प्रवासी श्रमिकों के लिए उठाए गए कदमों के विवरण सर्वोच्च न्यायालय को देने में विफल रहे हैं. यह 31 जुलाई को राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (एनएचआरसी) द्वारा प्रवासी श्रमिकों की दुर्दशा पर दर्ज स्वतः संज्ञान मामले पर दायर एक निहितार्थ आवेदन की सुनवाई के दौरान सामने आया था. एनएचआरसी ने यह इंगित...

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महाराष्ट्र के डेरी किसान विरोध प्रदर्शन क्यों कर रहे हैं

-इंडिया टूडे, पिछले हफ्ते स्वाभिमानी शेतकारी संघटना (एसएसएस), रैयत शेतकारी संघटना (आरएसएस) और ऑल ‌इंडिया किसान सभा समेत महाराष्ट्र के कई किसान संगठनों ने मिलकर डेरी किसानों के प्रति समर्थन जताया. पिछले एक हफ्ते से विरोध-प्रदर्शन करके किसान दूध की कीमत बढ़ाने की मांग कर रहे हैं. यह विरोध-प्रदर्शन सतारा, सांगली और कोल्हापुर—इलाके में चीनी और डेरी का गढ़—में शुरू हुआ और उसके बाद यह फैलकर पश्चिमी महाराष्ट्र, मराठवाड़ा और विदर्भ के...

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वाल्मीकि, तुलसीदास और रामानंद सागर से लेकर राम तक

-न्यूजक्लिक, पांच अगस्त के दिन सरकार ने हिन्दुओं के भगवान राम के नाम पर एक मंदिर के शिलान्यास की योजना बनाई है जहाँ किसी समय बाबरी मस्जिद हुआ करती थी। इस घोषणा के फौरन बाद ही इसने दो नए विवादों को जन्म दिया है। कुछ बौद्ध समूहों ने इस बात का दावा किया है कि मस्जिद का ढांचा जहाँ पर खड़ा था, उसे मंदिर के लिए जमींदोज करते वक्त जो अवशेष...

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“मुझे पता नहीं कि भारत देश कितने दिनों तक इस रास्ते पर चलेगा”: साईबाबा को अरुंधति रॉय का पत्र

-न्यूजलॉन्ड्री, सेवा में, प्रोफेसर जीएन साईबाबा अंडा सेल, नागपुर सेंट्रल जेल नागपुर, महाराष्ट्र प्रिय साई, सबसे पहले मैं माफी मांगती हूं कि मैं अरुंधति लिख रही हूं न कि अंजुम. आपने तीन साल पहले उन्हें खत लिखा था, तो निश्चय ही उसे आपको जवाब देना बनता है लेकिन मैं क्या कह सकती हूं- वाट्सएप और ट्विटर की भागमभाग के इस दौर में भी उसके समय की समझ आपकी-मेरी समझ से बिल्कुल अलग है....

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