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नि:शक्तता को दया नहीं, सम्मान की जरूरत

मूल रूप से दिल्ली की रहनेवाली और अपने घर-परिवार के साथ देश के कई हिस्सों में बचपन गुजारनेवालीं शिवानी गुप्ता की जिंदगी भी औरों की तरह चल रही थी़ पढ़ाई पूरी करने के बाद उनके मन में भविष्य को लेकर कुछ सपने थे, लेकिन नियति को कुछ और ही मंजूर था़ सन् 1992 में हुई एक कार दुर्घटना ने शिवानी की जिंदगी की दिशा ही बदल दी़ मेरुदंड (स्पाइनल कॉर्ड)...

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भारत की कहानी में बिहार कहां है?-- शंकर अय्यर

आज बिहार उम्मीदों और निराशा के दोराहे पर खड़ा है। पिछले कई दशकों से ‌अगर बिहार दुर्दशा झेल रहा है, तो इसकी वजह सिर्फ मंडल, कमंडल और जंगल राज नहीं है। इसकी असल वजह 'राजनीति' है, जिसमें 'राज' कुछ ज्यादा, तो 'नीति' जरूरत से काफी कम रही है। भारत में शासन को लेकर एक बेहद प्रचलित उक्ति है कि यहां वह सब कुछ जो गलत हो सकता है, वह लगातार...

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मातृत्व अवकाश तो इनका हक है- ऋतु सारस्वत

कामकाजी महिलाओं के मातृत्व अवकाश को तीन से बढ़ाकर आठ माह करने के महिला एवं बाल विकास मंत्रालय के प्रस्ताव को प्रधानमंत्री ने बेहतर करार दिया है। उम्मीद है कि जल्दी ही मैटरनिटी बेनिफिट ऐक्ट में संशोधन कर इस प्रस्ताव को अमली जामा पहनाया जाएगा। कामकाजी गर्भवती महिलाओं की सुविधाएं बढ़ाने के लिए फैक्टरी ऐक्ट और कंपनी मामलों से संबंधित कानून में संशोधन करने का अनुरोध भी किया गया है।...

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मातृत्व अवकाश पर चर्चा जरूरी-- अंजलि सिन्हा

अमेरिकी मूल की बहुद्देशीय कंपनी याहू की सीइओ मारिसा मायेर आगामी दिसंबर में अपनी जुड़वा बेटियों को जन्म देनेवाली हैं. अभी वह अपनी कंपनी के काम में जितनी व्यस्त हैं, उसकी उन्हें खूब प्रशंसा मिल रही है. जिस समय मारिसा ने याहू की नौकरी ज्वॉइन की थी, तब भी वह गर्भवती थीं और नौकरी के दौरान ही उन्होंने अपने पहले बेटे काे जन्म दिया था. अपने इंटरव्यू में उन्होंने यह...

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आरक्षण पर लगातार बढ़ती उलझनें - डॉ एके वर्मा

गुजरात के पाटीदार या पटेल समुदाय के आरक्षण आंदोलन ने देश को एक बार फिर पच्चीस वर्ष पीछे धकेल दिया। 1990 के दशक में मंडल आयोग की सिफारिशें लागू हुईं और देश में आरक्षण 22.5 फीसदी से बढ़कर 49.5 फीसद हो गया, क्योंकि अनुसूचित जाति/जनजाति के अलावा अन्य पिछड़े वर्ग के लिए भी 27 फीसदी आरक्षण का कानून बन गया। देश-समाज जल उठा और जातीय आधार पर एक गहरी विभाजन...

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