नृत्त्वशास्त्र की अध्येता जॉन पी मेंशे से की गई यह भेटवार्ता फ्रंटलाइन से साभार ली गई है। प्रोफेसर जोन पी मेंशे नृत्तत्वशास्त्र की अध्येता हैं। उन्होंने बरसों तक सिटी यूनिवर्सिटी ऑव न्यूयार्क के ग्रेजुएट सेंटर और इसी यूनिवर्सिटी के लेहमान कॉलेज में अपने विषय का अध्यापन किया है। प्रोफेसर मोंशे सेकेंड चांस फाऊंडेशन नामक एक नॉट फॉर प्राफिट संस्था की अध्यक्ष भी हैं। यह संस्था भारत और संयुक्त राज्य...
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सऊदी अरब ने मुश्किल की भारतीय बासमती की राह
नई दिल्ली : आर्थिक संकट से प्रभावित सऊदी अरब ने बासमती के लिए भारत के न्यूनतम निर्यात मूल्य का कम स्तर देखते हुए इसके आयात पर सब्सिडी को वापस लेने का फैसला किया है। इसके ...
More »भोपाल त्रासदी के ढाई दशक
हममें से ज्यादातर लोगों के लिए भोपाल गैस त्रासदी एक औद्योगिक दुर्घटना है, जिसने 25 साल पहले से लेकर आज तक हजारों लोगों की हत्या की है और लाखों को तबाह कर दिया है। इस...
More »समेकित कृषि प्रणाली अपनाएं किसान
पटना सूबे की आबादी बढ़ रही है, पर जमीन का रकबा नहीं बढ़ाया जा सकता है। परिवार बंटने से जमीन की जोत घट रही है। ऐसी स्थिति में कम जमीन में अधिक पैदावार की तकनीक अपनाने की जरूरत है। इसके लिए एक एकड़ में एक परिवार के जीविकोपार्जन के लिए समेकित कृषि प्रणाली का तरीका निकाला गया है। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने रविवार को किसानों से भरे श्रीकृष्ण मेमोरियल हाल में आयोजित समारोह में ये...
More »शादी का मतलब पता नहीं, बन गई दुल्हनियां
बांका [प्रकाश वत्स]। सन् 1915 में पंडित चन्द्रधर शर्मा गुलेरी रचित कालजयी कहानी 'उसने कहा था' की परिछाया इस गांव में भी दिखती है। इस कहानी के बाल नायक का सवाल था तुम्हारी कुरमाई हो गयी, इस पर नायिका का जवाब था धत तेरी कि..। नायिका की तरह ही बांका जिले के बाराहाट प्रखंड स्थित महुआडीह गांव की विवाहित लड़कियों को शादी का सही मतलब तक मालूम नहीं है। सात साल की उम्र...
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