SEARCH RESULT

Total Matching Records found : 15201

खत्म होने के कगार पर है 15वीं शताब्दी में विकसित एक प्राचीन और वैज्ञानिक व्यवस्था

-डाउन टू अर्थ, पश्चिमी राजस्थान के पारंपरिक जल प्रबंधों की गुण-गाथा तब तक पूरी नहीं होगी जब तक हम खड़ीनों की चर्चा न कर लें। यह बहुत पुरानी और वैज्ञानिक व्यवस्था है। शुष्क क्षेत्र के वैज्ञानिकों का मानना है कि इनकी आज भी बहुत महत्वपूर्ण भूमिका हो सकती है। खड़ीन या धोरा की तकनीक 15वीं सदी में जैसलमेर के पालीवाल ब्राह्मणों ने विकसित की थी। दरबार उन्हें जमीन देते थे और...

More »

कोरोना महामारी से पीड़ित लोग हो रहे हैं डिप्रेशन के शिकार

-बीबीसी, भारत के स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय का कहना है कि कोरोना महामारी के दौरान इस बीमारी से पीड़ित 30 फ़ीसद लोग अवसाद या डिप्रेशन का शिकार हुए हैं. स्वास्थ्य मंत्रालय ने कोरोना महामारी की वजह से तनाव के बढ़ते मामलों को देखते हुए दिशानिर्देश जारी किए हैं. दिशानिर्देश कई शोध रिपोर्ट के आधार पर तैयार किए गए हैं. कोरोना वायरस महामारी ने दुनिया भर में लोगों की मानसिक स्थिति पर गहरा...

More »

किसानों को पराली न जलाने की एवज में रुपए देना समाधान नहीं

-न्यूजलॉन्ड्री,  क्या किसानों को अपने खेतों में पराली न जलाने के एवज में पैसे मिलने चाहिए? आज के समय में यह सबसे विवादास्पद मुद्दों में से एक है क्योंकि उत्तर भारत में सर्दियों की शुरुआत हो चुकी है और यही वह समय है जब खेतों में पराली जलाई जाती है. यह प्रदूषण हवा के माध्यम से दिल्ली तक पहुंच जाता है. यह किसी से नहीं छुपा कि दिल्ली गाड़ियों के धुएं...

More »

नोटबंदी के समर्थन में कई जिनकी किताब का हवाला देते हैं वे खुद इसे लेकर क्या सोचते हैं?

-सत्याग्रह, अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) के मुख्य अर्थशास्त्री रह चुके और इन दिनों हॉर्वर्ड विश्वविद्यालय में पढ़ा रहे प्रोफेसर केन रोगॉफ को अर्थनीति के सबसे बड़े विचारकों में गिना जाता है. उनकी किताब ‘द कर्स ऑफ कैश’ (नकदी का शाप) के प्रकाशित होने के कुछ ही समय बाद मोदी सरकार ने नोटबंदी का ऐलान कर दिया था. इसका समर्थन करने वाले कई लोगों ने ‘द कर्स ऑफ कैश’ का भी हवाला...

More »

महामारी के दौर में बहुआयामी गरीबी के चक्र में फंसे लोग, 3 से 10 साल तक पिछड़ सकते हैं विकासशील देश!

बहुआयामी गरीबी मौद्रिक यानी पैसे आधारित गरीबी नहीं है बल्कि यह गैर-मौद्रिक आधारित गरीबी है, जो सतत विकास लक्ष्यों (एसडीजी) को प्राप्त करने की चुनौतियों से दृढ़ता से जुड़ी है. हालाँकि पहले गरीबी को केवल मौद्रिक यानी धन आधारित गरीबी के संदर्भ में ही परिभाषित किया गया था, लेकिन अब गरीबी को लोगों के अनुभवों की जीवंत वास्तविकता और उनके द्वारा भोगे जाने वाले अनेकों अभावों से जोड़कर देखा जाता...

More »

Video Archives

Archives

share on Facebook
Twitter
RSS
Feedback
Read Later

Contact Form

Please enter security code
      Close