वह 1960 का दशक था। अफ्रीकी देश कांगो भीषण हिंसा के दौर से गुजर रहा था। हाल में ही वह आजाद हुआ था। इसके बाद मुल्क में तबाही का लंबा दौर चला। जातीय संघर्ष में वहां एक लाख से ज्यादा लोग मारे गए। हजारों परिवार बेघर हुए। सबसे ज्यादा कहर महिलाओं और बच्चों पर टूटा। डेनिस मुकवेगे तब पांच साल के थे। नौ भाई-बहनों में वह तीसरे नंबर पर थे।...
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दवा बेचने को लेकर हड़ताल पर क्यों हैं देश के केमिस्ट?
दवा बेचने को लेकर घमासान मचा है. घमासान दो किस्म के - पारम्परिक और ऑनलाइन - दवा बेचने वालों के बीच है. पारम्परिक दुकानदारों ने अपना शटर फ़िलहाल एक दिन के लिए गिरा दिया है. मांगे नहीं माने-जाने पर बेमियादी हड़ताल की धमकी भी है. ये दुकानदार ऑनलाइन दवा कारोबारियों को मान्यता देने की सरकार की पहल से नाराज़ हैं. पारम्परिक दवा विक्रेता वे हैं जो ईंट-पत्थर जोड़कर बनायी दुकान से एक...
More »क्यों नहीं सुरक्षित हैं बेटियां --- वी मोहिनी गिरी
सीबीएसई टॉपर रही रेवाड़ी की उस छात्रा की आंखों में निश्चय ही सुनहरे भविष्य के सपने पल रहे होंगे। मगर एक झटके में ही सब कुछ खत्म हो गया। उसे र्दंरदगी का शिकार तब बनाया गया, जब वह पढ़ने जा रही थी। आज देश की कोई बेटी खुद को सुरक्षित नहीं मानती। सब इसी आशंका में जीती हैं कि न जाने कब, किसके साथ कुछ गलत हो जाए। यही वजह...
More »फायदे और नुकसान का गोरखधंधा-- आशुतोष चतुर्वेदी
हम भारतीयों की एक दिक्कत है कि हम अपने सदियों पुराने ज्ञान पर भरोसा करने के बजाय पश्चिम के लोगों की बातों पर अधिक यकीन करते हैं. पश्चिम ने फसलों का उत्पादन बढ़ाने के लिए रासायनिक उर्वरकों का इस्तेमाल शुरू किया, तो हमने अपनी जैविक खाद का तिरस्कार कर उसे अपना लिया. जल्द ही पश्चिमी देशों को रासायनिक उर्वरकों के इस्तेमाल से सेहत पर खतरा नजर आने लगा. इनके अंधाधुंध...
More »कभी बीड़ी बनाती थी गरीब लड़की, अब बनेगी डॉक्टर
कहते हैं कि अगर मन में कुछ करने का जज्बा हो तो राह में आने वाली हर परेशानी हार मान लेती है. कुछ ऐसी ही कहानी है पश्चिम बंगाल की रहने वाली मौसमी खातून की. जिसकी पढ़ाई में तो दिलचस्पी थी, लेकिन पैसों की कमी होने के कारण आगे बढ़ने की राह नहीं मिल रही थी. फिर भी निराश होने की बजाए उसने हिम्मत रखी और मेहनत से पढ़ाई को...
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