मुंबई : राष्ट्रीय कृषि एवं ग्रामीण विकास बैंक (नाबार्ड) की चालू वित्त वर्ष में अपने दीर्घावधि ऋण या पुनर्वित्त पोर्टफोलियो को 80,000 करोड़ रुपये तक पहुंचाने की योजना है. ग्रामीण अर्थव्यवस्था में सुधार के लिए विकास वित्त संस्थान दीर्घावधि ऋण बढ़ाना चाहता है. वित्त वर्ष 2017-18 में नाबार्ड ने 65,000 करोड़ रुपये का दीर्घावधि का ऋण दिया था. मार्च, 2018 में समाप्त वित्त वर्ष में नाबार्ड ने 2,951 करोड़ रुपये का...
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भुखमरी के साए में-- रमेश सर्राफ धमोरा
मानव जाति की मूल आवश्यकताओं की बात करें तो रोटी, कपड़ा और मकान का ही नाम आता है। इनमें रोटी सर्वोपरि है। रोटी यानी भोजन की अनिवार्यता के बीच आज विश्व के लिए शर्मनाक तस्वीर यह है कि वैश्विक आबादी का बड़ा हिस्सा अब भी भुखमरी का शिकार है। भुखमरी की इस समस्या को भारत के संदर्भ में देखें तो संयुक्त राष्ट्र द्वारा भुखमरी पर जारी रिपोर्ट के अनुसार दुनिया...
More »पहला हक बिहार का है- मोहन गुरुस्वामी
मारी संसद इस सत्र में भी नहीं चल सकी. इस बार इसकी वजह यह मांग रही कि विभाजन के बाद के शेष बचे आंध्र प्रदेश को विशेष दर्जा दिया जाये. बिहार के लिए भी काफी दिनों से ऐसी ही मांग की जा रही है, जिसकी स्थिति आंध्र प्रदेश से बहुत भिन्न है. किसी राज्य को विशेष दर्जा देने की अवधारणा देश के विभिन्न क्षेत्रों के बीच समानता लाने के लिए...
More »ताकि अगली पीढ़ी को भी पानी मिले-- एम वेंकैया नायडू
ब्रिटिश कवि सैम्युअल टेलर कॉलरिज की कविता द राइम ऑफ द एनसिएंट मरीनर में एक पंक्ति है वाटर, वाटर एव्रीवेयर, नॉर एनी ड्रॉप टु ड्रिंक यानी पानी तो हर जगह है, पर एक बूंद भी पीने के काबिल नहीं। करीब दो सदी पहले इन शब्दों को रचते हुए सैम्युअल क्या आने वाले वर्षों की भविष्यवाणी कर रहे थे? क्या वह जाने-अनजाने उस जल संकट का कयास लगा रहे...
More »किसके स्कूल-- जीनत
मेरी ही तरह सरकारी स्कूल से पढ़े एक दोस्त ने स्कूल के दिनों का अनुभव साझा किया। वह जब बारहवीं कक्षा में था, तब पहली बार एक अध्यापक ने स्कूल से अंतिम कक्षा की पढ़ाई पूरी करके निकलने वाले विद्यार्थियों के लिए ‘फेयरवेल पार्टी' यानी विदाई समारोह आयोजित करने बात कही तो दूसरे अध्यापक ने उनके इस प्रस्ताव को सिरे से खारिज कर दिया और यह टिप्पणी की कि सरकारी...
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