आज बिहार उम्मीदों और निराशा के दोराहे पर खड़ा है। पिछले कई दशकों से अगर बिहार दुर्दशा झेल रहा है, तो इसकी वजह सिर्फ मंडल, कमंडल और जंगल राज नहीं है। इसकी असल वजह 'राजनीति' है, जिसमें 'राज' कुछ ज्यादा, तो 'नीति' जरूरत से काफी कम रही है। भारत में शासन को लेकर एक बेहद प्रचलित उक्ति है कि यहां वह सब कुछ जो गलत हो सकता है, वह लगातार...
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सर्वे में खुलासा, नोट के बदले वोट को गलत नहीं मानती 80 फीसद जनता
नई दिल्ली/पटना। बिहार के 80 फीसद लोगों का मानना है कि पैसे या किसी अन्य चीज के बदले किसी को वोट देने में कुछ भी गलत नहीं है। हाल ही में हुए एक सर्वे में इसका खुलासा हुआ है। एक अंग्रेजी अखबार के अनुसार यह सर्वे बिहार के मुख्य निर्वाचन अधिकारी द्वारा करवाया गया था, जिसमें ये चौंकाने वाली बात सामने आई है। बिहार के लोगों की ऐसी सोच के सामने...
More »अति पिछड़ों की राजनीतिक भूमिका-- बद्री नारायण
बिहार में अब सिर्फ दलितों और पिछड़ों की राजनीति नहीं हो रही, इसकी राजनीति का नया रुझान महादलित और अति पिछड़ों से जुड़ा है। ये दो श्रेणियां बताती हैं कि जिन्हें हम दलित और पिछड़े वर्गों की तरह देखते हैं, उनका स्वरूप हर जगह एक सा नहीं है। इन वर्गों के भीतर भी गैर-बराबरी, ऊंच-नीच या भेदभाव है। इसके चलते संसाधनों का समान वितरण नहीं हो पाता। इनके भीतर भी ऐसी...
More »आरक्षण पर लगातार बढ़ती उलझनें - डॉ एके वर्मा
गुजरात के पाटीदार या पटेल समुदाय के आरक्षण आंदोलन ने देश को एक बार फिर पच्चीस वर्ष पीछे धकेल दिया। 1990 के दशक में मंडल आयोग की सिफारिशें लागू हुईं और देश में आरक्षण 22.5 फीसदी से बढ़कर 49.5 फीसद हो गया, क्योंकि अनुसूचित जाति/जनजाति के अलावा अन्य पिछड़े वर्ग के लिए भी 27 फीसदी आरक्षण का कानून बन गया। देश-समाज जल उठा और जातीय आधार पर एक गहरी विभाजन...
More »बिहार का अपना विकास मॉडल है : नीतीश कुमार
पटना : बिहार विधानसभा चुनाव प्रचार अभियान के तहत आज दूसरे दिन बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने खगड़िया के परबत्ता में एक जनसभा को संबोधित किया. सीएम ने केंद्र सरकार और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर जमकर निशाना साधा. नतीश कुमार ने न्यूनतम समर्थन मूल्य के मुद्दे पर केंद्र सरकार को घेरा. साथ ही मुख्यमंत्री ने कहा कि 15 महीने तक मोदी को बिहार की याद नहीं आयी. सीएम ने...
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