छपरा / मशरक: मिड डे खाने के बाद 21 बच्चों की छपरा में हुई मौत के बाद लोगों ने हंगामा शुरू कर दिया है. आक्रोशित लोग सड़क पर उतर आये हैं और तोड़ फोड़ शुरू कर दी है. खबर है कि भीड ने पुलिस की चार जीप को जला दिया है. घटना में मारे गये बच्चों के परिजन भी काफी नाराज हैं. जिस आया ने बच्चों के लिए खाना बनाया था उसकी...
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न्याय के प्रप्रतिनिधियों को न्याय नहीं
गांवों में आम आदमी को सस्ता, सुलभ न्याय दिलाने के उद्देश्य से 73 वां संविधान संशोधन विधेयक के तहत बिहार में ग्राम कचहरी को भी कानूनी मान्यता दी गयी. छोटे-मोटे विवादों का निबटारा गांवों में हो, ताकि बड़ी अदालतों पर बोझ कम हो. इसी मकसद से ग्राम कचहरी का गठन किया गया. राज्य में इसके प्रप्रतिनिधि भी हजारों की संख्या में चुने गये. पंच-सरपंच संघ बिहार प्रदेश के अध्यक्ष आमोद...
More »आपदा का खोखला प्रबंधन!
उत्तराखंड में प्रकृति की विनाशलीला शायद कम हो सकती थी, अगर समय रहते इससे निबटने के लिए जरूरी इंतजाम कर लिये गये होते. लेकिन सीएजी की रिपोर्टो और नागरिक समाज द्वारा दी जानेवाली चेतावनियों के बावजूद भी सरकार नहीं चेती. कैसे काम करता है हमारा आपदा प्रबंधन तंत्र, आपदाओं का सफलतापूर्वक सामना करने में क्यों चूक जाते हैं हम, बता रहा है नॉलेज.. ऐसा पहली बार नहीं हुआ है कि हमलोग...
More »बिहार के मुखियाः दो साल में कमाये चार करोड़
पश्चिम चंपारण जिले में करोड़पति पंचायत जनप्रतिनिधियों की कमी नहीं है. यह बात अलग है कि सब ने घोटाले की बदौलत संपत्ति जुटायी है, लेकिन उसने संपत्ति के रिकॉर्ड को खंगालने में पुलिस जुटी हुई है. जिले के दो मुखिया के घरों पर राज्य की आर्थिक अपराध इकाई ने गुरुवार को छापेमारी की. इस छापेमारी से आय से अधिक संपत्ति अर्जित करने वाले मुखिया और पंचायत जनप्रतिनिधियों में बौखलाहट है. गुरुवार...
More »ऐसे संघर्ष का औचित्य क्या है- विनोद कुमार
जनसत्ता 15 जून, 2013: बूर्जुआ राजनीतिक दलों और पुलिस प्रशासन की नजर में उग्रवादी, आतंकवादी, नक्सली और माओवादी, सभी एक हैं। उनकी नजर में तो यथास्थितिवाद का विरोध करने वाला हर आदमी नक्सली है। लेकिन इन सब में फर्क है। सबों के राजनीतिक दर्शन और लक्ष्यों में अंतर है। मोटे रूप में कहा जाए तो देश में सक्रिय उग्रवादी और आतंकवादी संगठन देश का विखंडन चाहते हैं, अलग देश की...
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