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आजादी : सपना और हकीकत-- रविभूषण

राष्ट्रीय स्वाधीनता आंदोलन की परिणति 'सत्ता के हस्तांतरण' में हो जायेगी, यह उन स्वाधीनता सेनानियों ने कभी नहीं सोचा था, जिनके लिए आजादी का अर्थ पूरी आजादी से था. आजादी की लड़ाई में एक साथ कई धाराएं सक्रिय थीं. केवल कांग्रेस ने आजादी की लड़ाई नहीं लड़ी थी.  राष्ट्रीय स्वाधीनता-संघर्ष का इतिहास कांग्रेस का इतिहास नहीं है. 'स्वराज' के स्वरूप को लेकर उस दौर में सभी एकमत नहीं थे. आजादी...

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टैक्स से आजादी, हुई बरबादी-- अनिल रघुराज

संधिकाल की बेला है, न जाने कितनी लंबी खिंचेगी. यह नखलिस्तानों की तलाश नहीं, मरीचिकाओं में भटकने का दौर है. हकीकत कुछ और, मगर बताया जाता है कुछ और. हर टैक्स मूलतः जनता से धन छीन कर सत्ता की तिजोरी भरता है.  सरकार अगर जनोन्मुखी न हो, तो जनता का इससे प्रत्यक्ष रूप से कोई भला नहीं होता, खासकर तब, जब उसे उसकी आय या मुनाफे पर नहीं, बल्कि वस्तुओं...

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ऊना में दलितों ने मैला न उठाने का लिया संकल्प, रेल रोकने की दी चेतावनी

ऊना (गुजरात) : गुजरात के ऊना में हजारों दलितों ने मृत गायों को नहीं हटाने का संकल्प लिया. साथ ही कहा कि अगर एक महीने के भीतर गुजरात सरकार प्रत्येक परिवार को पांच एकड़ जमीन देने की उनकी मांग को पूरा नहीं करती है तो विशाल रेल रोको आंदोलन शुरू किया जाएगा. जानकारी के मुताबिक इन सबके बीच हमले की ताजा घटना के बाद फिर से तनाव व्याप्त हो गया....

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आसान नहीं इरोम की राह- अमरनाथ सिंह

अनशन तोड़ने से मानवाधिकार कार्यकर्ता इरोम चानू शर्मिला की आगे की राह आसान नहीं होगी। लेकिन यह भी सच है कि आखिर सोलह साल तक लगातार भूख हड़ताल करने पर भी उनकी एकसूत्री मांग पूरी नहीं हो पाई, अफस्पा (सशस्त्र बल विशेष अधिकार कानून) नहीं हट पाया। लंबे समय तक भूख हड़ताल से इरोम का शरीर जरूर कमजोर हुआ है लेकिन कठिनाइयों व चुनौतियों का सामना करने की उनकी आंतरिक...

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स्वतंत्र भारत की महानतम लेखिका-- रविभूषण

स्वतंत्र भारत के बांग्ला साहित्य में ही नहीं, भारतीय साहित्य में भी महाश्वेता देवी (14 जनवरी, 1926- 28 जुलाई, 2016) ने जो नयी जमीन और दिशा दी, उसे आज उर्वर और सार्थक बनाना जरूरी है. बहुत कम लेखकों की पारिवारिक पृष्ठभूमि साहित्यिक रूप से समृद्ध होती है. दिनेश रंजन दास और गोकुलचंद्र नाग ने बीसवीं सदी के आरंभिक दशक में जिस 'कल्लोल' पत्रिका का आरंभ किया था, उससे बांग्ला साहित्य...

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