सस्ते स्मार्टफोन और सस्ती इंटरनेट योजनाओं को तेजी से अपनाए जाने के बीच भारत में मोबाइल इंटरनेट उपभोक्ताओं की संख्या इस साल जून तक बढ़कर 21.3 करोड़ हो जाने की संभावना है। उद्योग मंडल इंटरनेट ऐंड मोबाइल एसोसिएशन ऑफ इंडिया (आईएएमएआई) और आईएमआरबी इंटरनेशनल की रिपोर्ट के मुताबिक दिसंबर 2014 के अंत तक मोबाइल इंटरनेट उपभोक्ताओं की संख्या 17.3 करोड़ थी। रिपोर्ट में कहा गया कि मोबाइल बिल औसतन 13 प्रतिशत बढ़कर...
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निजी कर्मचारियों पर पड़ेगी अभावग्रस्त बुढ़ापे की मार
नई दिल्ली, ब्यूरो। निजी क्षेत्र में काम करने वाले 92 फीसद कर्मचारी अगर समय रहते नहीं चेते तो उन्हे बेहद तनावपूर्ण व आर्थिक तंगी से जूझते बुढ़ापे के लिए तैयार रहना चाहिए। देश में बेहतर पेंशन उत्पादों की कमी, लोगों के बीच जागरूकता का अभाव और सरकार व निजी क्षेत्र की तरफ से पर्याप्त ध्यान नहीं देने की वजह से अधिकांश प्राइवेट कर्मचारियों के पास पेंशन के लिए कोई सुविधा...
More »घर छोड़ने को मजबूर क्यों अन्नदाता? - देविंदर शर्मा
कृषि के संदर्भ में राष्ट्रीय नमूना सर्वे संगठन (एनएसएसओ) की हालिया रिपोर्ट साफ तौर पर बताती है कि कृषि न केवल संकट के दौर से गुजर रही है, बल्कि उसका तेजी से क्षरण भी हो रहा है। मैं चकित नहीं हूं। आखिरकार 1996 में ही विश्व बैंक ने भारतीय कृषि के पतन की दिशा बता दी थी। तब विश्व बैंक ने अनुमान लगाया था कि अगले बीस वर्षों में भारत...
More »शिक्षा की दुनिया से गैजेट्स का नाता - डेजी क्रिस्टोडुलू
मौजूदा डिजिटल युग की नई पीढ़ी जिस सामूहिक व सामाजिक रूप में टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल कर रही है, उसे देखते हुए कई लोगों का मानना है कि इससे शिक्षा के क्षेत्र में क्रांतिकारी बदलाव आएगा। पर दूसरी तरफ ऐसे लोगों की संख्या भी कम नहीं, जो इस बात को लेकर बेहद चिंतित हैं कि स्मार्टफोन, टैबलेट, ई-रीडर्स व लैपटॉप जैसे गैजेट्स इस नई पीढ़ी की एकाग्रता व गहरे...
More »विदेशी कंपनियां नहीं लाएंगी अच्छे दिन - डॉ. भरत झुनझुनवाला
वर्ष 2005 से 2010 के बीच देश की अर्थव्यवस्था 8.7 प्रतिशत की दर से बढ़ रही थी। अरबपतियों की संख्या में तेजी से वृद्धि हो रही थी। फिर भी जनता में असंतोष था, जिसका परिणाम संप्रग सरकार को 2014 के चुनाव में झेलना पड़ा। मोदी सरकार के सामने 2015 की चुनौती विकास को आम जनता तक पहुंचाने की है। हमारी वर्तमान विकास दर 5 से 6 प्रतिशत के बीच है।...
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