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गांव में अपराध: क्या सड़क जैसी बुनियादी सुविधाओं से फर्क पड़ता है?

-गांव सवेरा, ग्रामीण भारत में गरीबी के उन्मूलन और आर्थिक विकास हेतु अच्छी बुनियादी सुविधाओं तक पहुंच होना महत्वपूर्ण है। यह लेख, भारत मानव विकास सर्वेक्षण (आईएचडीएस) के 2004-05 और 2011-12 के आंकड़ों का विश्लेषण करते हुए दर्शाता है कि पक्की सड़कों से जुड़े गांवों के परिवारों में अपराध, श्रम बल की भागीदारी और पारिवारिक आय के सन्दर्भ में उन गांवों में रहने वालों की तुलना में बेहतर परिणाम पाए गए...

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2020 लॉकडाउन के बाद भारत में अमीरों की हैसियत घटने से आय की असमानताओं में आई कमी, आर्थिक स्टडी का दावा

-द प्रिंट, कोविड-19 महामारी के दौरान भारत में लाखों लोग गरीबी के गर्त में चले गए, लेकिन शुरुआती कड़े लॉकडाउन के बाद की अवधि में, देश आय की असमानताओं में भी कमी देखी गई- ये खुलासा पिछले महीने प्रकाशित एक वर्किंग पेपर में किया गया है. ‘कोविड के दौरान भारत में असमानता घटी’ शीर्षक से इस पेपर में जिसे अर्थशास्त्र पर शोध और उसका प्रसार करने वाली, अमेरिका में स्थित एक गैर-मुनाफा...

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भारतीय लोकतंत्र में लगातार बढ़ रही आर्थिक असमानता पर चर्चा कब होगी?

-जनपथ, विश्व असमानता रिपोर्ट 2022 के आंकड़ों के बाद भारत में बढ़ती आर्थिक असमानता फिर चर्चा में है। रिपोर्ट के अनुसार भारत में एक प्रतिशत सर्वाधिक अमीर लोगों के पास 2021 में कुल राष्ट्रीय आय का 22% हिस्सा था, जबकि शीर्ष 10% लोग राष्ट्रीय आय के 57 प्रतिशत भाग पर काबिज थे। हमारे देश की आधी आबादी सिर्फ 13.1 फीसदी कमाती है। रिपोर्ट के आने के बाद होने वाली चर्चाएं प्रायः शीर्ष...

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जायज नहीं किसान आंदोलन पर बेहिसाब उम्मीदों का बोझ लादना

-कारवां, साल भर से भी ज्यादा समय हो गया है नरेन्द्र मोदी सरकार द्वारा तीन कृषि कानूनों को पारित किए हुए. लेकिन उनके खिलाफ जारी प्रतिरोध आंदोलन आज के भारत में एक व्यापक और सतत विरोध आंदोलनों में से एक रहा है. अपनी व्यापकता और दृढ़ता के साथ यह आंदोलन विभिन्न समूहों के लिए उम्मीद की किरण लेकर आया और इससे सभी की अपनी-अपनी उम्मीदें रही हैं. इनमें से कई तो उन...

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महामारी से कितनी प्रभावित हुई दलित-आदिवासी शिक्षा?

-न्यूजक्लिक, पिछले दो सालों में कोरोना महामारी ने अन्य व्यवस्थाओं के साथ शिक्षा व्यवस्था को भी अस्त-व्यस्त कर दिया। सुखद है कि अब धीरे-धीरे शिक्षा व्यवस्था पटरी पर लौटने लगी है। महामारी ने यूं तो सामान्य वर्ग के विद्यार्थियों को भी प्रभावित किया पर दलित-आदिवासी छात्र-छात्राओं का तो भविष्य ही दांव पर लग गया। इसमें हमारी जातिवादी और पितृसत्तावादी मानसिकता और उभर कर सामने आई। हाल ही में दलित आर्थिक अधिकार...

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