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न्यूज क्लिपिंग्स् | भारतीय लोकतंत्र में लगातार बढ़ रही आर्थिक असमानता पर चर्चा कब होगी?

भारतीय लोकतंत्र में लगातार बढ़ रही आर्थिक असमानता पर चर्चा कब होगी?

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published Published on Dec 21, 2021   modified Modified on Dec 23, 2021

-जनपथ,

विश्व असमानता रिपोर्ट 2022 के आंकड़ों के बाद भारत में बढ़ती आर्थिक असमानता फिर चर्चा में है। रिपोर्ट के अनुसार भारत में एक प्रतिशत सर्वाधिक अमीर लोगों के पास 2021 में कुल राष्ट्रीय आय का 22% हिस्सा था, जबकि शीर्ष 10% लोग राष्ट्रीय आय के 57 प्रतिशत भाग पर काबिज थे। हमारे देश की आधी आबादी सिर्फ 13.1 फीसदी कमाती है। रिपोर्ट के आने के बाद होने वाली चर्चाएं प्रायः शीर्ष के एक प्रतिशत संपन्न लोगों पर केंद्रित हो जाती हैं किंतु अभाव एवं गरीबी में जीवन गुजार रही आधी आबादी की दशा पर विमर्श कहीं अधिक आवश्यक है।

आर्थिक समानता हमारे संवैधानिक लोकतंत्र की समानता की अवधारणा को साकार करने का एक महत्वपूर्ण साधन है। हाशिये पर धकेले गए समुदायों को समान अवसर और अधिक प्रतिनिधित्व मिले यह सुनिश्चित करने में आर्थिक समानता की बड़ी भूमिका है। आर्थिक असमानता अर्थव्यवस्था को अस्थिर बना सकती है। इसके कारण स्वास्थ्य, शिक्षा एवं अनुसंधान जैसे आवश्यक क्षेत्रों में निवेश में कमी आ सकती है। हाल में किए गए अध्ययनों ने यह दर्शाया है कि कोरोना काल में घटती हुई मजदूरी और आय ने कुल मांग पर विपरीत प्रभाव डाला है क्योंकि आम लोगों के उपभोग में कमी आई है।

अनेक आर्थिक विशेषज्ञों के अनुसार कम आय में जीवन बिताने वाले बहुसंख्य लोगों की इस दशा के लिए शीर्ष पर मौजूद मुट्ठी भर लोगों के पास संपत्ति का एकत्रीकरण उत्तरदायी नहीं है। यदि इस विवादित स्थापना को स्वीकार कर भी लिया जाए तब भी इतना तो तय है कि शीर्ष के चंद लोगों के पास संपत्ति के एकत्रीकरण ने आम लोगों के जीवन स्तर और रहन सहन तथा उन्हें मिलने वाली सुविधाओं पर विपरीत प्रभाव डाला है।

पूरी रपट पढ़ने  के लिए यहां क्लिक करें. 


डॉ राजू पांडेय, https://junputh.com/open-space/growing-economic-inequality-in-india-needs-to-be-discussed-immediately/


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