SEARCH RESULT

Total Matching Records found : 37

बैंक ऋण माफी के कुछ पहलू-- बिभाष

पिछले कुछ समय से राजनीति और मीडिया में बहस चल रही है कि सरकार ने बैंकों से बड़े उद्योगपतियों का कर्ज माफ करवा दिया. किसानों के ऋणों की माफी को लेकर भी राजनीतिक और गैर-राजनीतिक पक्ष सक्रिय बने रहते हैं. हाल में एक बड़े बैंक के अध्यक्ष ने किसानों की कर्ज माफी को लेकर एक बयान भी जारी किया है. इन बहसों पर गौर करने से स्पष्ट होता है कि...

More »

किसानों के लिए कसना होगी कमर- मृणाल पांडे

मृणाल पांडे। किसान से लेकर सरकार और बाजार तक इस बार खुश हैं कि मानसून अच्छा है। किंतु किसानी का भविष्य एक ही अच्छे मानसून से आमूलचूल नहीं सुधर सकता। खेतिहरों के जीवन में लगातार विकास के लिए स्तरीय शिक्षा, स्वास्थ्य सेवाएं, अनाज का बेहतर विपणन-भंडारण, मुनाफे के सही निवेश से जुड़ी कई तरह की मदद भी जरूरी होती है। किसानी को लाभ का सौदा बनाने की जिम्मेदारी आखिरकार राज्य...

More »

फसल का नहीं खेती का बीमा हो!-- बिभाष

खेती की जब बात आती है, तो सभी आकाश की ओर ताकते हैं. अगर माॅनसून का समय और उसकी मात्रा उचित या पर्याप्त नहीं है, तो राजनीति की गति और दिशा दोनों बदल जाती है. बजट से लेकर बाजार तक सब आकाश ही निहारते हैं. कृषि में जोखिम प्रबंध बहुत ही कमजोर है.  हरित क्रांति का चाहे जिस तरह से विश्लेषण या आलोचना करें, लेकिन उसने हमारी कृषि को तात्कालिक...

More »

झूठ का एहतराम, सच रामराम-- अनिल रघुराज

धर्मक्षेत्रे कुरुक्षेत्रे समवेता युयुत्सवः, मामकाः पाण्डवाश्चैव किमकुर्वत संजय. धृतराष्ट्र ने पूछा और संजय सारा कुछ बताते गये कि महाभारत के धर्मयुद्ध में क्या-क्या धर्म-अधर्म हुआ. श्रीकृष्ण तक के छल और युधिष्ठिर तक के अर्धसत्य का वर्णन उन्होंने किया. फिर भी पांडव अंततः जीत गये.  लेकिन बाजार की कोई कितनी भी आलोचना कर ले, वहां झूठ का तिलिस्म ज्यादा नहीं चलता. याद करें, करीब सात साल पहले जब 7 जनवरी, 2009...

More »

बैंकरप्सी बिल : द इन्सॉल्वेंसी एंड बैंकरप्सी कोड लोकसभा में पारित

किसी कारोबारी द्वारा बैंकों का कर्ज चुकता न किये जाने से न सिर्फ बैंकों के स्वास्थ्य पर बुरा असर पड़ता है, बल्कि देश की अर्थव्यवस्था भी कमजोर होती है. सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों और वित्तीय संस्थाओं के नुकसान की भरपाई अंततः सरकारी खजाने से करनी पड़ती है. यह खजाना देश की सामूहिक आय, नागरिकों द्वारा दिये गये कर और बचत की राशि से बनता है.  इसका मतलब यह है कि...

More »

Video Archives

Archives

share on Facebook
Twitter
RSS
Feedback
Read Later

Contact Form

Please enter security code
      Close