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तीस लाख मतदाता चाहें भी तो इस चुनाव में मतदान नहीं कर सकते- आखिर क्यों, पढ़िए इस एलर्ट में !

‘वोट इंडिया वोट' के नारे के साथ एक सरकारी वेबसाइट पर लिखा है- ‘ मतदान प्रक्रिया में भाग लें, मतदाता होने पर गर्व महसूस करें.' लेकिन क्या कभी आपने सोचा कि भारत की एक बड़ी कामगार आबादी चाहे तो भी वोट नहीं कर सकती ? ऐसे कामगारों में एक नाम आता है ईंट भट्ठे के मजदूरों का ! इस बार ईंट भट्ठे पर काम करने वाले तकरीबन 30 लाख मजदूर अपने...

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देश के उच्च जाति के हिंदू सबसे अमीर, कुल संपत्ति के 41% के मालिक: रिपोर्ट

नई दिल्ली: भारत में जाति अब भी व्यक्ति के जीवन में अहम किरदार निभा रही है और शिक्षा, व्यवसाय, आय और संपत्ति जैसे महत्वपूर्ण पहलू जाति के आधार पर निर्धारित हो रहे हैं. देश में हिंदू समुदाय की उच्च जातियों के 22.3 प्रतिशत लोगों के पास देश की कुल संपत्ति का 41 प्रतिशत है और यही लोग सबसे धनाढ्य समूह बनाते हैं. वहीं देश की संपत्ति का केवल 3.7 प्रतिशत हिस्सा...

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तेरह प्वॉइंट रोस्टर का मुद्दा -- अनुज लुगुन

बातचीत के दौरान 13 प्वॉइंट रोस्टर पर कुछ विद्यार्थी यह चिंता जाहिर कर रहे थे कि यदि नियुक्तियों में इसी तरह के रोस्टर लागू होंगे, तो हमारे पढ़ने-लिखने का कोई मतलब नहीं रह जायेगा. यह व्यवस्था तो प्राचीन मनुवादी सामाजिक व्यवस्था की सूचक है, जिसमें वंचित समुदायों के समान अवसरों का निषेध किया जाता रहा है. तेरह प्वॉइंट रोस्टर को लेकर उनकी यह चिंता वाजिब है. उनकी इस चिंता...

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सरकार के उच्च विभागों में निर्धारित सीमा से काफी कम है आरक्षित वर्ग का प्रतिनिधित्व

नई दिल्ली: केंद्र सरकार ने हालिया संविधान संशोधन के माध्यम से सामान्य वर्ग के आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग के उन लोगों के लिए 10 फीसदी आरक्षण की व्यवस्था कर दी जिन्हें मौजूदा आरक्षण की व्यवस्था का लाभ नहीं मिल रहा था. वहीं दूसरी ओर, इंडियन एक्सप्रेस की एक रिपोर्ट से ये जानकारी सामने आई है कि केंद्रीय विश्वविद्यालयों के साथ सरकार के उच्च विभागों में ग्रुप-ए और ग्रुप-बी तथा अधिकतर...

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जीत गईं जातियां, हार गईं जातियां- जिल वर्निस

मध्य प्रदेश और राजस्थान जैसे प्रमुख हिंदी भाषी प्रदेशों में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) पर कांग्रेस की जीत 2014 के लोकसभा चुनावों के बाद से भारत में हुआ सबसे बड़ा राजनीतिक उलटफेर है। मगर नवनिर्वाचित विधायकों का जातिगत विश्लेषण यह बताता है कि इन दोनों सूबों में सत्ता का बंटवारा जिन-जिन सामाजिक समूहों में है, उनके सियासी रुतबे में इस राजनीतिक बदलाव के बावजूद कोई बड़ा फेरबदल नहीं हुआ है।...

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