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ओबीसी वोट की होड़ में कैसे दब गया जातिगत जनगणना का मुद्दा

-जनपथ, देश के पांच राज्‍यों में चल रहे विधानसभा चुनाव और 2024 में होने वाले लोकसभा चुनाव को ध्यान में रखते हुए जातिगत राजनीति करने वाली पार्टियां अपने-अपने वोट बैंक साधने के लिए प्रयासरत हैं। देश का ओ.बी.सी. समुदाय कुल आबादी का 50 प्रतिशत से अधिक है। जाति आधारित राजनैतिक पार्टियां इस समुदाय को अपने-अपने पक्ष में करने के लिए जी तोड़ प्रयास कर रही हैं, इसीलिए जाति जनगणना करने की...

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कोविड-19 और दीर्घकालिक गरीबी: ग्रामीण राजस्थान से साक्ष्य

-आइडियाज फॉर इंडिया, प्रारंभिक गणना के आधार पर, भारत में कोविड-19 के कारण 7.7 से 22 करोड़ लोग गरीबी में आ गए हैं, जिसके अनुसार अब शहरी आबादी में गरीब 60% और ग्रामीण आबादी में 70% हो गए हैं। वर्ष 2002 में ग्रामीण राजस्थान में किए गए सर्वेक्षण के 2021 में किये गए फॉलोअप के आधार पर, यह लेख दर्शाता है कि परिवारों को मार्च 2020-अगस्त 2021 के दौरान अपनी नकद आय का...

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भेदभाव में लिंग-जाति अंतर्विरोध: क्या मरीज़ डॉक्टर की सामाजिक पहचान की परवाह करते हैं?

-आइ़डियाज फॉर इंडिया, भारत में सामाजिक पहचान पर आधारित भेदभाव व्यापक रूप में फैला होने की वजह से, भेदभाव में जाति-लिंग अंतर्विरोध के अध्ययन हेतु एक अनूठी सेटिंग उपलब्ध होती है। यह लेख, उत्तर प्रदेश में किये गए एक क्षेत्रीय प्रयोग के आधार पर दर्शाता है कि मरीज द्वारा महिला डॉक्टरों की तुलना में पुरुष डॉक्टरों को पसंद किये जाने के कारण जाति-संबंधी पूर्वाग्रह इस लिंग संबंधी भेदभाव को और बढ़ा...

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अनहेल्दी सीक्रेट्स - क्यों जरूरी है पीएम केयर्स फंड की जांच

-कारवां, आजादी के बाद देश के सभी बड़े शहरों में पाकिस्तान से आने वाले हिंदू और सिख शरणार्थियों की संख्या हर बीतते दिन बढ़ रही थी. जवाहरलाल नेहरू उस समय देश की अंतरिम सरकार के प्रधानमंत्री थे और उनके आधिकारिक आवास तीन मूर्ति भवन में भी लोगों की भीड़ लगी रहती. नेहरू के निजी सचिव रहे एम. ओ. मथाई अपनी किताब रेमनिसंस ऑफ दि नेहरू ऐज में नेहरू की एक आदत...

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क्या हम भारतीय कृषि क्षेत्र में घटती किसानी आमदन के साक्षी हैं?

राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय (एनएसओ) के 77वें दौर के सर्वेक्षण पर आधारित 'ग्रामीण भारत में परिवारों की स्थिति का आकलन और परिवारों की भूमि जोत, 2019', हाल ही में जारी स्थिति आकलन सर्वेक्षण इस तथ्य को स्थापित करता है कि किसान परिवार अपनी आजीविका के लिए 'खेती-बाड़ी से शुद्ध आय' के बजाय मजदूरी पर अधिक से अधिक निर्भर हैं. मार्क्सवादी शब्दावली में, सर्वहाराकरण (एक शब्द जिसे हम निर्वासन के लिए शिथिल रूप से उपयोग कर सकते हैं) उस प्रक्रिया...

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