नई दुनिया, 13 जनवरी जो हाथ कभी अपराध करने के लिए उठे थे, उन्हीं हाथों में कुदाली व फावड़ा है। जेल में रहकर बंदी खेती कर रहे हैं। यहां जैविक खेती की जा रही है। कम जगह में विकट परिस्थितियों के बीच जेल प्रशासन ने कैदियों को आत्मनिर्भर बनाने के लिए यह प्रयास किया है ताकि जब वे यहां से बाहर जाए तो उनके पास एक हुनर हो। जेल में गोभी,...
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कीटनाशकों के विकल्प की जरूरत, इससे पहले कि देर हो जाए
गाँव कनेक्शन, 16 नवम्बर कीटनाशकों के प्रयोग से मानव स्वास्थ्य पर पड़ रहे हानिकारक दुष्प्रभावों की खबरें आये दिन पढ़ने सुनने को मिलती हैं। कीटनाशक कितने खतरनाक हो सकते हैं इसका अंदाजा कैंसर जैसे घातक रोगों की बढ़ती संख्या को देखकर आसानी से लगाया जा सकता है। देखने में आ रहा है कि आज खेती-किसानी इन कीटनाशकों पर पूरी तरह आश्रित होकर रह गई हैं। फसलों में लग रहे कीट, रोग,...
More »ड्रोन से कीटनाशक छिड़काव के खतरे
दैनिक ट्रिब्यून, 14 नवम्बर जुलाई माह में, मीडिया रिपोर्टों में बताया गया कि चोटी के कीटनाशक उत्पादक साइजेंटा इंडिया को ड्रोन से धान की फसल पर फफूंद नाशक स्प्रे करने की अनुमति दी गई है। अन्य विशालकाय रसायन कंपनियां जैसे कि बायर, बीएएसएफ, धानुका एग्रीटेक, यूपीएल और इंसेक्टीसाइड इंडिया लि. भी खरीफ की फसल के दौरान परीक्षण के तौर पर 30000 एकड़ रकबे में ड्रोन से छिड़काव की योजना बना रही...
More »जीएम सरसों: एमएनसी का मायाजाल
पत्रिका, 28 अक्टूबर बहुराष्ट्रीय कंपनियों का मायाजाल बढ़ता जा रहा है। दिल्ली विश्वविद्यालय की ओर से विकसित किए गए जेनेटिकली मॉडिफाइड (जीएम) सरसों की किस्म डीएमएच-11 (धारा मस्टर्ड हाइब्रिड) को जेनेटिक इंजीनियरिग अप्रेजल कमेटी (जेइएसी) से एनवायरमेंटल रिलीज की अनुमति मिल जाना बहुराष्ट्रीय कंपनियों के मायाजाल का ताजा विस्तार है। जेइएसी की बैठक में डीएमएच-11 को चार साल के लिए मंजूरी दी गई है। अगले दो साल तक इंडियन काउंसिल ऑफ...
More »भारत में होती हैं कीटनाशकों के जहर से होने वाली 60 फीसदी मौतें, पर्यावरण के लिए भी बड़ा खतरा
डाउन टू अर्थ, 19 अक्टूबर बढ़ते मुनाफे के लिए कीटनाशकों का बढ़ता उपयोग नित नए खतरों को जन्म दे रहा है। अनुमान है की खेतों में इस्तेमाल होता यह जहर हर साल 11 हजार से ज्यादा लोगों की जान ले रहा है। इनमें से करीब 60 फीसदी मौतें भारत में होती हैं। इतना ही नहीं यह कीटनाशक दुनिया भर में 38.5 करोड़ लोगों के बीमार पड़ने की भी वजह है। यह...
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