-डाउन टू अर्थ, कोविड-19 महामारी के पहले दौर में महात्मा गांधी राष्ट्रीय रोजगार गारंटी योजना (मनरेगा) ने ग्रामीणों को बहुत सहारा दिया। सरकार ने भी खुल कर खर्च किया। लेकिन कोविड-19 की दूसरी लहर में मनरेगा ग्रामीणों के लिए कितनी फायदेमंद रही, यह जानने के लिए डाउन टू अर्थ ने देश के पांच सबसे बड़ी जनसंख्या वाले राज्यों में मनरेगा की जमीनी वस्तुस्थिति की विस्तृत पड़ताल की है। इस कड़ी की...
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भारत समेत दुनियाभर के बेहतरीन दिमाग यह पता लगाने में जुटे कि कोरोनावायरस आखिर आया कहां से
-द प्रिंट, हम कोविड महामारी में वर्तमान स्थिति की व्याख्या कैसे करते हैं? बात को कुछ इस तरह रखें. अगर आप टीवी पर क्रिकेट मैच देखते होंगे तो आपने एक परफ्यूम का वह विज्ञापन भी देखा होगा जिसमें एक तूफान में एक नौजवान की कमीज उड़ जाती है और उसका गठीला बदन दिखने लगता है, एक लड़की उसके बदन पर भरपूर नज़र डालते हुए कहती है, ‘आपके कपड़े तो गए, लेकिन खुशबू...
More »महाराष्ट्र: कोविड-19 की दूसरी लहर से गांवों में रहने वाले परिवारों की बदहाली
-न्यूजलॉन्ड्री, महाराष्ट्र के ग्रामीण इलाकों में कोविड-19 की दूसरी लहर ने ऐसा कहर बरपाया है कि बहुत से परिवार इससे घोर गरीबी के दुष्चक्र में फंस गए हैं. यह वो अनगिनत लोग हैं जिन्होंने अपने परिवार के उन सदस्यों को खोया जिनके ऊपर घर चलाने की सारी ज़िम्मेदारी थी. मुंबई में बैठे महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे और उनकी महाअघाड़ी सरकार के बाकी हुक्मरानों के लिए शायद महाराष्ट्र का मतलब सिर्फ...
More »IFPRI रिपोर्ट: सरकार को महामारी के दौरान पोषण सहायता, शिक्षा और नौकरियों के मामले में सक्रिय भूमिका निभानी चाहिए!
अंतर्राष्ट्रीय खाद्य नीति अनुसंधान संस्थान (आईएफपीआरआई) की एक हालिया रिपोर्ट में कहा गया है कि 25 मार्च, 2020 को किए गए देशव्यापी लॉकडाउन, जिसे लगभग दो महीने के लिए चरणों में बढ़ाया गया था, ने भारतीय आबादी के कमजोर वर्गों के भोजन और पोषण की स्थिति को प्रभावित किया. इस रिपोर्ट में कहा गया है कि मिड-डे मील योजना जैसे कार्यक्रम से देश के प्राथमिक-विद्यालय आयु वर्ग के 80 प्रतिशत...
More »चप्पल और क्रीमरोल: लॉकडाउन में 15 साल की रोहिणी के अरमान
-न्यूजलॉन्ड्री, "कोरोना के बाद जब एक बार फिर से काम मिलना शुरू हो जाएगा और पैसे मिलेंगे तो मैं सबसे पहले अपने लिए चप्पल खरीदूंगी और क्रीमरोल खाऊंगी" यह बात सुनने में शायद बहुतों को अजीब लगे कि चप्पल और क्रीमरोल जैसी मामूली चीज़ों को कोई कोरोना महामारी के चलते खरीद नहीं पा रहा है लेकिन महाराष्ट्र के बीड जिले के काठोड़ा गांव की दलित बस्ती में रहने वाली 15 साल...
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