-न्यूजलॉन्ड्री, कोरोना का कहर शहरों से निकलकर गांवों तक फ़ैल गया है. सरकारी दावे चाहे कुछ भी कहें लेकिन गांवों की हकीकत यह है कि यहां बड़ी संख्या में लोगों की मौत हो रही है. आजमगढ़ के संजरपुर गांव में पिछले महीने 20 से अधिक मौतें हो गई. सभी को कोविड के लक्षण जैसे खांसी, बुखार और निमोनिया था. गांव में एक ही गली के सात परिवारों में मरीज़ों ने घर...
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ग्रामीण भारत में बढ़ता कोरोना : डॉक्टरों की कमी, झोलाछाप पर भरोसा और वैक्सीन के लिए झिझक
-गांव कनेक्शन, भारत की 65 प्रतिशत आबादी ग्रामीण क्षेत्रों में रहती है, जबकि सिर्फ 33 प्रतिशत स्वास्थ्य सुविधाएं ही उन्हें मिल रही हैं। ग्रामीण स्वास्थ्य सेवा का बुनियादी ढांचा तीन स्तर पर काम करता है, जिसमें एक उप-केंद्र, एक प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र (पीएचसी) और एक सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र (सीएचसी) शामिल हैं। एक रिपोर्ट के अनुसार इन प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों में 3,000 से अधिक डॉक्टरों की कमी है, जो पिछले 10 सालों...
More »कोरोना टेस्ट अब ख़ुद कर सकेंगे, ICMR ने निर्देशों के साथ किट को दी मंज़ूरी
-बीबीसी, भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद यानी आईसीएमआर ने कोविड-19 के लिए रैपिड एंटीजन टेस्ट (आरएटी) के महत्व पर ज़ोर देते हुए कहा है कि जिन लोगों में कोरोना संक्रमण के लक्षण हैं और जो जाँच में पॉज़िटिव पाये गए किसी मरीज़ के संपर्क में रह चुके हैं, उन्हें कोविड-19 की पुष्टि के लिए आरएटी की मदद से घर पर ही जाँच करनी चाहिए. आईसीएमआर के ताज़ा परामर्श के मुताबिक़, उन सभी लोगों...
More »बिहार के गांवों में कोरोना का कहर: क्या बंद स्वास्थ्य केंद्रों को खोलने से सुधरेंगे हालात?
-डाउन टू अर्थ, कुछ माह पहले बिहार में 1451 ग्रामीण स्वास्थ्य केंद्र बंद कर दिये गये थे, अब उन्हें खोला जा रहा है। मंगलवार, 18 मई को खुद राज्य के अपर मुख्य सचिव प्रत्यय अमृत ने यह घोषणा की है। उन्होंने कहा कि जब राज्य में कोरोना के मामले बढ़ने लगे तो इन 1451 अतिरिक्त प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों को बंद कर इनके चिकित्सकों और अन्य स्वास्थ्य कर्मियों को डेडिकेटेड कोविड हेल्थ...
More »आवरण कथा/ कोविड कहर : वो कौन गुनहगार है...
-आउटलुक, “महामारी की भयंकर दूसरी लहर में बेबस लोग अस्पताल, ऑक्सीजन, दवाइयों के अभाव में बेमौत मरने को मजबूर, सारा ढांचा चरमराया, सत्ता के अपने खेल में मस्त लापरवाह सरकार की खुली पोल” हर तरफ मौत, मायूसी, बेबसी जैसे पसरी हुई है। जो चंद दिनों पहले कोरोना पर विजय का दंभ भर रहे थे, वे किन्हीं छद्म के आवरणों में छुप गए हैं। किसी को कुछ सूझ नहीं रहा है। ऐसे मंजर...
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