गंगेश द्विवेदी, रायपुर। प्रदेश में सोमवार से 1776 सहकारी समितियों के माध्यम से धान खरीदी शुरू गई है। सरकार न्यूनतम समर्थन मूल्य पर प्रति एकड़ 10 क्विंटल के हिसाब से खरीदी करने का फरमान जारी किया है, लेकिन यह फरमान प्रदेश के किसानों के लिए मुसीबत का पहाड़ बनकर टूट रहा है। किसानों ने कर्ज लेकर धान की बंपर पैदावार की है, लेकिन बेचने का वक्त आया तो सरकार ने...
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बड़े सवालों से मुंह छुपाता वाम- उर्मिलेश
चुनावी विफलताओं से उपजी हताशा और अपनी निष्क्रियता के चलते काफी लंबे समय से देश के पारंपरिक वामपंथी दल राष्ट्रीय-चर्चा से लगभग बाहर हैं. इधर, अचानक मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी में महासचिव प्रकाश करात और पोलित ब्यूरो के सदस्य सीताराम येचुरी के पक्ष-विपक्ष की दलबंदी के चलते वाम-राजनीति की एक खास बहस सामने आयी है. यह प्रमुखत: गंठबंधन की राजनीति को लेकर है. लेकिन इस बहस में वे सवाल कहीं नहीं...
More »विकास के मौजूदा मॉडल के विनाशकारी पहलू- सच्चिदानंद सिन्हा
आज जलवायु परिवर्तन पूरी दुनिया के लिए चिंता का विषय है. मौसम का चक्र बदल रहा है. कभी बिन मौसम भारी बरसात, तो कभी बारिश के मौसम में सूखा. कभी असमय भारी बर्फबारी, तो कभी धुंध. धरती गर्म हो रही है. ग्लेशियर पिघल रहे हैं. जलस्तर बढ़ने के कारण समुद्र से घिरे द्वीपीय इलाकों के डूबने का खतरा पैदा हो रहा है. इनके सबकी वजह है बढ़ता प्रदूषण और पर्यावरण का...
More »महिलाओं ने बनाया पुल तो जुड़ गये दो गांव
महिलाओं ने सोचा कि जब हम इतने बड़े-बड़े काम कर सकती हैं तो दोनों गांवों के बीच एक पुल क्यों नहीं बना सकतीं. बैठक में सारी महिलाएं सहमत हो गयीं कि अब दूसरों का मुंह जोहने से अच्छा है खुद पुल बना लेना. पुष्यमित्र इस खबर से साथ नीचे लगी तसवीर में आप साइकिल पर सवार मुनिया के चेहरे पर छायी खुशी को देख सकते हैं. मुनिया सातवीं कक्षा में पढ़ती है और...
More »सूखते खेत-खलिहान अभी दूर है विज्ञान- अनिल जोशी
हमारे देश का एक बड़ा हिस्सा आजादी के बाद से आज तक विज्ञान के लाभ से महरूम रहा है। देश की प्रयोगशालाओं में जो भी हुआ, वह राजमार्ग से उतरकर गांव की पगडंडी पर गया ही नहीं। देश की तीन बड़ी वैज्ञानिक संस्थाओं का यह सीधा दायित्व था कि वे गांवों की विभिन्न आवश्यकताओं पर काम करें। भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद, विज्ञान और तकनीकी विभाग, ग्रामीण विकास संस्थान ने अपने...
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