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मिल्क बॉयकाट, धरना- कैसे मालधारियों के आगे गुजरात सरकार को ‘काले’ मवेशी कानून मामले में झुकना पड़ा

दिप्रिंट, 27 सितम्बर गुजरात में काफी शक्तिशाली माने जाने वाले मालधारी समुदाय को भूपेंद्र पटेल सरकार को विवादास्पद आवारा पशु नियंत्रण विधेयक, या उनके शब्दों में एक काले बिल की वापसी के लिए बाध्य करने में छह महीने लग गए. और इस मामले में दबाव बनाने की पुरानी रणनीतियां ही उनके काम आईं, जिसमें मिल्क बॉयकाट, राजनीतिक स्तर पर चेताना, सड़कों पर विरोध प्रदर्शन और व्हाट्सएप और टेलीग्राम ग्रुप्स जैसे सोशल...

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लंपी त्वचा रोग का कहर देश के कई राज्यों पर, क्या है वजह एक्सपर्ट बता रहे हैं इलाज?

क्विंट हिन्दी, 15 सितम्बर भारत के आठ राज्यों में लंपी त्वचा रोग तेजी से मवेशियों में फैल रहा है. इसकी वजह से जुलाई से अब तक हजारों मवेशियों की मौत हो चुकी है. लंपी वायरस का प्रकोप देश के कई राज्यों जिनमें शामिल हैं, राजस्थान, गुजरात, पंजाब, हरियाणा, दिल्ली, हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड, जम्मू और कश्मीर, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, गोवा और आंध्र प्रदेश तक फैल चुका है. इन राज्यों में अब...

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गुजरात के मुख्यमंत्री को हटाने का संकेत देने वाले लेख के लिए अख़बार के संपादक और मालिक पर केस

द वायर, 28 अगस्त गुजरात के मुख्यमंत्री भूपेंद्र पटेल को पद से संभवत: हटाए जाने का संकेत देने वाला एक रिपोर्ट प्रकाशित करने को लेकर राजकोट शहर के एक सांध्य दैनिक के संपादक और इसका स्वामित्व रखने वाली उनकी पत्नी के खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई है. पुलिस के एक अधिकारी ने शनिवार को यह जानकारी दी. पुलिस ने बताया कि एफआईआर दो दिन पहले भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 505 (1बी)...

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बिलक़ीस बानो मामला: दोषियों की रिहाई के विरोध में जंतर मंतर पर प्रदर्शन

 द वायर, 27 अगस्त बिलकीस बानो सामूहिक बलात्कार और उनके परिवार के सात लोगों की हत्या के मामले में 11 दोषियों की गुजरात की भाजपा सरकार की क्षमा नीति के तहत रिहाई के विरोध में छात्र और महिला समूह शनिवार (27 अगस्त) को जंतर मंतर पर एकजुटता दिखाने के लिए एकत्र हुए. इंडियन एक्सप्रेस के मुताबिक, विरोध प्रदर्शन में पूर्व सांसद और अभिनेत्री शबाना आजमी, अखिल भारतीय प्रगतिशील महिला संघ की सचिव...

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मीडिया की सुर्ख़ियों से गायब है अनाजों में बढ़ती 'महंगाई दर' की बात!

कुछ राज्यों में मानसून देरी से आया है इस कारण बोये गए चावल का इलाका पिछले वर्ष की तुलना में कम हुआ है. आंकड़ो में कहें तो 29 जुलाई,2022 तक 231.59 लाख हेक्टेयर रकबे में ही चावल बोये गए हैं जोकि पिछले वर्ष के इसी समय काल की तुलना में कम (267.05 लाख हेक्टेयर) है. बोये गए चावल के इलाके में आयी कमी सहित अन्य कारणों से अनाजों के दामों में महंगाई बढ़ने का डर...

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