भारतीय अर्थव्यवस्था एक ऐसे दौर से गुजर रही है जिसमें किसी अच्छी खबर को ढूंढ पाना मुश्किल हो गया है. आर्थिक वृद्धि सुस्त हो गई है. निर्यात निरंतर घटता जा रहा है. खुदरे की महंगाई बढ़ती जा रही है. रोजगार के अवसर नहीं बढ़ रहे हैं. बैंक क्रेडिट ग्रोथ में गिरावट है. बिजली की खपत घट रही है. कर राजस्व काफी धीमी गति से बढ़ रहा है, बजट में लगाए...
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इस फसल को चाहिए नई बहार- हरजिंदर
बरसों से वे हमारे दरवाजे पर खड़ी थीं और हम कोई फैसला नहीं कर सके, वही जीएम या जेनेटिकली मॉडिफाइड फसलें अब जब पिछले दरवाजे से हमारे घर में घुस आई हैं, तो हम परेशान हैं कि इसका करें क्या? वैसे इसे रोकने के बाकायदा नियम-कानून हैं। पर्यावरण संरक्षण कानून के तहत ऐसे लोगों के लिए पांच साल की कैद और एक लाख रुपये तक के जुर्माने का प्रावधान है,...
More »भारत का संप्रभु बॉन्ड से पैसा जुटाने का फैसला काफी जोख़िम भरा है- एम के वेणु
ज्यादातर आर्थिक विशेषज्ञों ने घरेलू कल्याण और विकास कार्यक्रमों के वास्ते पैसा जुटाने के लिए विदेशों से डॉलर में कर्ज लेने के मोदी सरकार के फैसले के विरोध में आवाज उठाई है. यह पहली बार है कि कोई सरकार राजकोषीय घाटे के डॉलरीकरण का काम कर रही है. इसके पक्ष में दलील यह दी जा रही है कि इससे सरकार के ऋण-आधार का विस्तार होगा और चूंकि सरकार अपने कर्जे का...
More »बजट में दीर्घकालिक विकास के लिए रणनीति नहीं दिखाई देती- एम के वेणु
नरेंद्र मोदी सरकार के दूसरे कार्यकाल का पहला बजट न्यू इंडिया में कतार के आखिरी व्यक्ति के सशक्तीकरण की बातें तो खूब करता है, लेकिन यह इस सवाल का कोई जवाब नहीं देता है कि आखिर निवेश और उपभोग के दोहरे इंजन से चलने वाली विकास की गाड़ी में धक्का में लगाए बिना एक पूरी तरह वित्त पोषित कल्याणकारी राज्य को कैसे चलाया जाएगा? वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने बातें...
More »आर्थिक संतुलन लेकिन नजर वोट पर-- कन्हैया सिंह
अर्थशास्त्र की भाषा में हम जिसे चुनावी बजट कहते हैं, वैसा यह बजट नहीं है। चुनावी बजट हम उसे कहते हैं, जिसमें सरकार तरह-तरह के मतदाताओं को तोहफे बांटते समय वित्तीय घाटे का ख्याल नहीं रखती। लेकिन इस बजट की खास बात यह है कि इसमें वित्तीय घाटे का पूरा ख्याल रखा गया और उसे एक सीमा से अधिक नहीं बढ़ने दिया गया है। अभी तक यह 3.3 फीसदी था,...
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