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बेहतर है सब्जी का उत्पादन- एस एस सिंह

देश में सब्जियों की खेती 90.2 लाख हेक्टेयर क्षेत्रफल में की जाती है, जिसमें कुल उत्पादन 16.21 करोड़ टन (162.18 मिलियन टन) होता है। देश में सब्जी की औसत उत्पादकता 17.36 टन प्रति हेक्टेयर है। सब्जियों के क्षेत्रफल में भारत की हिस्सेदारी विश्व में 12.16 प्रतिशत है, जबकि उत्पादन में 11 फीसदी। वैश्विक सब्जी उत्पादन में भारत का स्थान चीन के बाद दूसरा है। पिछले 15 वर्षों में राष्ट्रीय स्तर पर...

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मध्‍यप्रदेश में राजपुरा की राह पर चलेंगे 56 गांव

धार/अमझेरा(मध्‍यप्रदेश)। सरदारपुर विकासखंड का राजपुरा ग्राम जिले के 56 गांवों को विकास की नई राह दिखाएगा। जैविक खेती के प्रति अपने रुझान के कारण राजपुरा के लोग इन दिनों चर्चा में हैं। अब कृषि विभाग भी जैविक खेती के प्रचार-प्रसार के लिए राजपुरा को मॉडल के रूप में प्रदर्शित कर अन्य गांवों के लोगों को प्रेरित करेगा। विभाग ने इसके लिए योजना भी बना ली है। जिले के प्रत्येक विकासखंड...

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इन महिलाओं ने खेती से दी कैंसर को मात, 4 साल से कोई नया मामला नहीं

मल्लियां (बरनाला)। संगरूर से 14-15 किलोमीटर दूर बरनाला का छोटा सा गांव मल्लियां। यहां कैंसर से तीन मौतें हो चुकी हैं। दो पीड़ित हैं। कीटनाशकों के इस्तेमाल से पैदा होने वाली सब्जियां इन मौतों का कारण थीं। लेकिन, 170 घरों वाले इस गांव में पिछले चार वर्षों में कैंसर का कोई नया मामला सामने नहीं आया है। ऐसा संभव हो पाया यहां की महिलाओं के कारण। जो अपनों को इस...

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बागवानी की सब्जियां मुरझाई, वाइरस और फंगस का प्रकोप

वीरेंद्र भट्ट, पेटलावद। इस वर्ष मिर्च, करेला, भिंडी, तुरई, चौलाई आदि सब्जियों में वाइरस और फंगस का भंयकर प्रकोप हुआ है। खेत में इन फसलों के खड़े पौधे मुरझा कर काले पड़ गए हैं। महंगे फंगीसाइड व अन्य वाइरस नियंत्रक कीटनाशक छिड़कने के बाद भी समस्या का कोई हल नहीं निकल रहा है। कर्ज से परेशान किसान फसल को उखाड़ने को मजबूर हैं। भारी पड़ रही आधुनिक खेती। पेटलावद क्षेत्र नकद फसल...

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जनसंख्या के बढ़ते बोझ को भोजन उपलब्ध कराने ऊपरी व शुष्क भूमि की उपयोगिता बढ़ाना है जरूरी

वैज्ञानिकों में भ्रम है कि हम उन्नत तकनीक की बात कर रहे हैं, तो पूर्व की परिस्थिति में ही सिर्फ निचली व मध्यम भूमि की उपयोगिता से काम चल जायेगा. लेकिन नयी परिस्थितियों में ऊपरी भूमि का उपयोग बढ़ाना जरूरी है. वहां ऐसी फसलें लगाने की जरूरत है जो कम पानी में और जल्दी तैयार हो जायें. जैसे मकई, मडुवा व 100 दिनों में तैयार होने वाला धान. मध्यम व निचली...

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