केंद्र सरकार द्वारा हर साल अपने वार्षिक बजट में ग्रामीण और कृषि क्षेत्रों के लिए भारी रकम आवंटित की जाती है. लेकिन ग्रामीण क्षेत्रों में पर्याप्त संख्या में अधिकारी नहीं होते हैं, तो क्या अधिकारियों की कमी के चलते सरकार की विभिन्न योजनाओं और कार्यक्रमों को ठीक से लागू किया जा सकता है? यदि हम इस मुद्दे के बारे में गहराई से सोचें तो हमें जवाब तो आसानी से मिल...
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डब्लूटीओ के बहाने किसानों को झटका
-आउटलुक, “सरकार के कुछ बड़े फैसलों में किसानों के हितों की बलि चढ़ाकर उद्योग को संरक्षण दिया गया” हाल ही में सरकार ने कुछ बड़े फैसले लिये हैं लेकिन दिलचस्प बात यह है कि इन फैसलों में जहां किसानों के हितों की बलि चढ़ाई गई है वहीं उद्योग को संरक्षण दिया गया है। कोविड-19 महामारी के चलते लागू लॉकडाउन में सबसे अधिक नुकसान दूध किसानों और मक्का किसानों का हुआ है लेकिन...
More »कोरोना का असर - किसान 25 फीसदी नीचे दाम पर दूध बेचने को मजबूर, महाराष्ट्र सरकार खरीद जारी रखेगी
-आउटलुक, कोरोना काल में दूध की खपत घटने की सीधी मार किसानों पर पड़ी है। खपत कम होने की वजह से किसानों को दूध 25 फीसदी तक नीचे दाम पर बेचने को मजबूर हैं। महाराष्ट्र सरकार ने जुलाई अंत तक राज्य के किसानों से 25 रुपये प्रति लीटर की दर से दूध की खरीद जारी रखने का फैसला किया है। होटल, रेस्तरां, कैंटीन और हलवाई की दुकानों में दूध की खपत घट...
More »गोबर बढ़ा रहा है किसानों की आमदनी, मज़ाक नहीं है
-गांव कनेक्शन, आमतौर पर लोग गोबर को बेकार की चीज समझते हैं, शहरी भारत के लिए गोबर शिट से कम नहीं है। यहां तक की दूसरों को दिमागी कमजोर बताने के लिए लोग आसानी से कह देते हैं, तुम्हारे दिमाग में गोबर भरा है? या फिर गोबर गनेश कहने से भी नहीं चूकते। ग्रामीण इलाकों की बात करें तो कुछ किसान इसे खाद के रूप में इस्तेमाल करते हैं। बहुत सारी...
More »सुधारों में किसान कहां
-आउटलुक, “लॉकडाउन में एपीएमसी सुधारों के जरिए कॉरपोरेट को लाभ दिलाने जैसे एकतरफा फैसले किसानों के हक में कितने” इस समय देश की इकोनॉमी संकट में फंसी है। लॉकडाउन में जब सब कुछ बंद रहा तब भी किसान पूरे जोर-शोर से अपने खेतों में काम में लगा हुआ था। इस दौरान किसानों को बाजार में बंदी और फसलों की सही खरीद नहीं होने से हजारों करोड़ रुपये का घाटा हुआ। सरकार को...
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