-द वायर, सरकार के कदम जब शासन के संवैधानिक सिद्धांतों के अनुरूप नहीं होते हैं, तब आप क्या करते हैं? आप अपने हिसाब से एक नया सिद्धांत गढ़ लेते हैं. पिछले हफ्ते हमने देखा कि किस तरह से नरेंद्र मोदी सरकार के दो बड़े स्तंभ- राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजित डोभाल और डिफेंस स्टाफ प्रमुख जनरल बिपिन रावत- ने व्यापक राष्ट्रहित के नाम पर कानून के शासन के उल्लंघन को जायज ठहराने के...
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देश की जरूरत को अनदेखा कर भारत में निर्मित जॉन्सन एंड जॉन्सन वैक्सीन की 60 करोड़ खुराक पश्चिमी देशों को देने की तैयारी?
-कारवां, ऐसे समय में जब भारत अपने ही नागरिकों का टीकाकरण पर्याप्त रूप से नहीं कर पा रहा है, हैदराबाद में निर्मित जॉन्सन एंड जॉन्सन सिंगल-शॉट टीकों की 60 करोड़ खुराकें यूरोप तथा अमेरिका को निर्यात करने पर विचार हो रहा है. इस बात को लेकर नागरिक समाज चिंतित है. यहां सितंबर में लगभग हर दिन कोरोना के 30 से 40 हजार नए मामले दर्ज किए गए हैं. अब तक देश की केवल 14...
More »हिंदी में रिपोर्टिंग करने वाले पत्रकारों के लिए फ़ेलोशिप
पत्रकार की ज़िम्मेदारी है कि वह समाज में हो रहे बदलावों और उथल-पुथल पर बारीक नज़र रखें. घटनाओं की रिपोर्टिंग करने के साथ-साथ उसकी तह तक पहुंचे. तहकीक़ात करें. जनता के मुद्दों और समावेशी लोकतंत्र के ज़रूरी विषयों को टटोलें. नागरिक अधिकार, मानवाधिकार और मौलिक अधिकार जैसे सवालों पर चौकस रहे. सरकार की नाकामियों को शिद्दत के साथ उजागर करें. सवाल करें. स्वास्थ्य, खेती-किसानी और राजनीति से लेकर पर्यावरण के...
More »ग्राउंड जीरो: गुम है रोशनी कहीं
-आउटलुक, “दुनिया के सामने तालिबान की पेश हुई उदार छवि उसके सत्ता कब्जाने के तरीके से कैसे हवा हुई और अफगानी समाज के विभिन्न तबकों का नजरिया क्या” हम पर और ताजा-ताजा कब्जे वाले काबुल पर पूरी दुनिया की नजर है। लेकिन 18 अगस्त को राजधानी से 240 किमी. उत्तर-पश्चिम के शहर से ऐसी खबर आई, जो बताती है कि अफगानिस्तान में आगे क्या होने वाला है। पहाड़ियों और रहस्यमय गुफाओं की...
More »हर साल निकाली जा रही 5,000 करोड़ टन रेत, भारत सहित 70 देशों में होता है अवैध खनन
-डाउन टू अर्थ, दुनिया भर में हर साल करीब 5,000 करोड़ टन रेत और बजरी नदियों, झीलों आदि से निकाली जा रही है। देखा जाए तो यह दुनिया में सबसे ज्यादा खनन की जाने वाली सामग्री है। आज जमाव से कहीं ज्यादा तेजी से इनका अंधाधुंध खनन हो रहा है, नतीजन यह अनेक पर्यावरण, स्वास्थ्य और सामाजिक समस्याओं को जन्म दे रहा है। हाल ही में इसपर मैकगिल और कोपेनहेगन विश्वविद्यालय द्वारा...
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