आज से एक हफ्ते बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की स्वयं-निर्धारित 50 दिन की समय-सीमा समाप्त हो रही है. देश इंतजार कर रहा है कि क्या प्रधानमंत्री मोदी के वादे के अनुसार हालात सामान्य हो जायेंगे या फिर छह महीने और लगेंगे, जैसा कि सरकार विरोधी कह रहे हैं? असमंजस की स्थिति है. आम आदमी और अर्थशास्त्री, सभी कयास लगा रहे हैं. पर, प्रश्न बहुत हैं और उत्तर कम. नोटबंदी पर...
More »SEARCH RESULT
सरकार के लक्ष्य बदलने की वजह-- पवन के वर्मा
विपक्षी नेताओं में नीतीश कुमार संभवत: पहले ऐसे नेता थे, जिन्होंने नोटबंदी के पीछे की मंशा का समर्थन किया. कोई भी सरकार अगर कालाधन और भ्रष्टाचार को कम करने के लिए कोई कदम उठाती है, तो उसे इसके लिए कम-से-कम संशय का लाभ तो मिलना ही चाहिए. हालांकि, जदयू की तरफ से बराबर यह बात कही जाती रही कि इतने बड़े कदम के लिए तैयारी नाकाफी रही. यह भी कहा...
More »रुके सियासी चंदे का गोरखधंधा - भवदीप कांग
रु पूर्णिमा के मौके पर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के स्वयंसेवक गुरुदक्षिणा स्वरूप कुछ राशि अपने इस संगठन को भेंट करते हैं। यह राशि (जो कुछ सिक्के भी हो सकते हैं या हजारों रुपए के नोट भी) एक सादे लिफाफे में दी जाती है, जो संघ कार्यालय के संचालन के लिए होती है। इसी से प्रचारकों का खर्चा भी निकलता है। अब मोदीजी के 'कैशलेस भारतमें क्या ऐसी दान राशि सिर्फ चेक...
More »नोटबंदी के एक महीने का सच-- कन्हैया सिंह
आठ नवंबर को शुरू हुए 500 व 1000 रुपये के नोटों के डीमॉनेटाइजेशन (जिसे आम भाषा में नोटबंदी कहा जा रहा है) के बाद से देश में जो हो रहा है, उसका विश्लेषण काफी कठिन है। यही वजह है कि हर अर्थशास्त्री इसे अलग ढंग से देख रहा है। इसके नतीजों का आकलन अलग ढंग से कर रहा है। ऐसे मौकों पर हर अर्थशास्त्री अपने ‘परसेप्शन' और ‘स्पैक्यूलेशन' यानी अपनी...
More »दिल्ली: मजदूर को कंपनी निदेशक बताकर किया काले धन को सफेद
बैंक प्रबंधकों एवं हवाला कारोबारियों की मदद से काले धन को सफेद करने के गोरखधंधे में दिहाड़ीदार मजदूरों को कंपनियों का निदेशक बना दिया गया। हवाला कारोबारियों ने ऐक्सिस बैंक में खाता खुलवाने के लिए ऐसी ही मुखौटा कंपनियों का सहारा लिया। खास बात है कि प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने जब इन मजदूरों से संपर्क किया तो उन्होंने खुद के किसी भी ऐसी कंपनी का निदेशक होने बाबत अनभिज्ञता जताई।...
More »