-द वायर, हिंदू और हिजाब. शीर्षक अटपटा है. भला हिंदुओं का हिजाब से क्या लेना-देना? लेकिन आजकल दिखाई यह पड़ रहा है कि हिजाब सबसे ज्यादा फिक्र की वजह हिंदुओं के लिए है. हिजाब लगाए हुए लड़कियां या औरतें उन्हें पिछड़ी हुई, पितृसत्ता की शिकार जान पड़ती हैं और वह उनके उद्धार के लिए व्यग्र हो उठा है. ठीक वैसे ही जैसे उसका दिल तीन तलाक़ की शिकार औरतों के लिए दुखता...
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बजट '22/नजरिया: फायदा सिर्फ बिजनेस को
-आउटलुक, “आम लोगों के लिए महंगाई ज्यादा रहेगी और आमदनी कम, अर्थव्यवस्थाह पटरी पर नहीं लौटेगी” आज बेरोजगारी देश में सबसे बड़ा मुद्दा है, जिसके खिलाफ युवा प्रदर्शन कर रहे हैं। साठ प्रतिशत लोगों की आमदनी घट गई है। किसानों की भी आय घटी है। माइक्रो सेक्टर में समस्या है, वहां अनेक उद्यम बंद हुए हैं। अभी जरूरत इस बात की थी कि कैसे इन सबकी मदद की जाए। निचले तबके के...
More »आखिर सरकार ने मानी आवारा पशुओं की समस्या की बात
-रूरल वॉइस, नगलिया बल्लू, चंदौसी, संभल, निघासन, लखीमपुर खीरी से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा है कि आवारा पशुओं की समस्या से निजात पाने के लिए 10 मार्च के बाद नई व्यवस्था लागू की जाएगी। उनका आशय यह था कि 10 मार्च को नतीजे आने के बाद उत्तर प्रदेश में फिर भाजपा की सरकार बनेगी, तब इस समस्या पर विचार किया जाएगा। गौरतलब है कि किसान कई वर्षों से इस समस्या से...
More »ओबीसी वोट की होड़ में कैसे दब गया जातिगत जनगणना का मुद्दा
-जनपथ, देश के पांच राज्यों में चल रहे विधानसभा चुनाव और 2024 में होने वाले लोकसभा चुनाव को ध्यान में रखते हुए जातिगत राजनीति करने वाली पार्टियां अपने-अपने वोट बैंक साधने के लिए प्रयासरत हैं। देश का ओ.बी.सी. समुदाय कुल आबादी का 50 प्रतिशत से अधिक है। जाति आधारित राजनैतिक पार्टियां इस समुदाय को अपने-अपने पक्ष में करने के लिए जी तोड़ प्रयास कर रही हैं, इसीलिए जाति जनगणना करने की...
More »कोविड-19 और दीर्घकालिक गरीबी: ग्रामीण राजस्थान से साक्ष्य
-आइडियाज फॉर इंडिया, प्रारंभिक गणना के आधार पर, भारत में कोविड-19 के कारण 7.7 से 22 करोड़ लोग गरीबी में आ गए हैं, जिसके अनुसार अब शहरी आबादी में गरीब 60% और ग्रामीण आबादी में 70% हो गए हैं। वर्ष 2002 में ग्रामीण राजस्थान में किए गए सर्वेक्षण के 2021 में किये गए फॉलोअप के आधार पर, यह लेख दर्शाता है कि परिवारों को मार्च 2020-अगस्त 2021 के दौरान अपनी नकद आय का...
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