नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट में शुक्रवार को जजों की नियुक्ति और तबादले के मामले में सुनवाई हुई। सुनवाई के दौरान अदालत ने अटॉर्नी जनरल को हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीशों की नियुक्ति और तबादले के लिए कॉलेजियम के निर्णयों के अनुपालन की जानकारी देने का आदेश दिया। एक पीआईएल पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि 8 महीने पहले कॉलेजियम ने जजों के नाम तय कर दिए थे,...
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99 पद, 4000 अभ्यर्थी सफल हुए सिर्फ नौ
पटना: राज्य के व्यवहार न्यायालयों में अपर जिला सत्र न्यायाधीश (एडीजे) के 99 पदों के लिए हुई परीक्षा में सिर्फ नौ अभ्यर्थी सफल हो पाये हैं. लंबी नियुक्ति प्रक्रिया के बाद जब अंतिम परिणाम घोषित हुआ, तो 90 पद खाली रह गये. इन 90 पदों के लिए एक भी अभ्यर्थी ऐसा नहीं मिला, जो साक्षात्कार के मानकों पर खरा उतर पाये. पिछली बार एक भी अभ्यर्थी...
More »न्यायाधीशों की नियुक्ति प्रक्रिया में पारदर्शिता महत्वपूर्ण : सुप्रीम कोर्ट
नयी दिल्ली : उच्चतम न्यायालय ने कहा है कि उच्चतर न्यायपालिका में न्यायाधीशों की नियुक्ति पर ‘प्रक्रिया का ज्ञापन' केंद्र और प्रधान न्यायाधीश के परामर्श से तैयार किया जाये. उच्चतर न्यायपालिका में न्यायाधीशों की नियुक्ति में पारदर्शिता महत्वपूर्ण है और यह एमओपी में परिलक्षित होना चाहिए. उच्चतम न्यायालय और उच्च न्यायालय में न्यायाधीशों की नियुक्ति के लिए दिशा निर्देश के रूप में एमओपी में साफ तौर पर न्यूनतम आयु इत्यादि...
More »जजों की नियुक्ति : अपने-अपने तर्क
कॉलेजियम सिस्टम पर चल रही बहस के दो छोर हैं। एक का दावा है कि हमारे देश के सर्वशक्तिमान न्यायाधीशों की नियुक्ति और तबादले का अधिकार कुछ न्यायाधीशों के पास केवल इसलिए रहना चाहिए, क्योंकि वे न्यायपालिका परिवार का हिस्सा होने के कारण उनके बारे में बेहतर समझ रखते हैं। दूसरा छोर कहता है कि उसमें आम जनता के नुमाइंदों की भी भागीदारी होनी चाहिए, क्योंकि न्यायाधीश केवल न्यायपालिका के...
More »अदालत बनाम हुकूमत की नौबत! - संतोष कुमार
राष्ट्रीय न्यायिक नियुक्ति आयोग (एनजेएसी) कानून को असंवैधानिक ठहराने के सर्वोच्च अदालत के फैसले के बाद से ही इस पर सरकार और न्यायपालिका के बीच ठनी हुई है। सर्वोच्च अदालत कॉलेजियम प्रणाली पर अडिग है, अलबत्ता उसने इसमें सुधार के लिए लोगों से सुझाव जरूर मांगे हैं। सरकार भी इस मत पर कायम है कि एनजेएसी को असंवैधानिक ठहराने का फैसला संसदीय संप्रभुता को झटका है। वर्ष 1788 में प्रकाशित 'फेडरलिस्ट...
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